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अन्याय के खिलाफ उठ खड़े होने का नाम ही सिख धर्म है: मनजीत

Ghaziabad : 21 दिसंबर से लेकर 28 दिसंबर तक *दशम* पिता *श्री गुरु गोविंद सिंह* जी का पूरा सरवंश शहीद हो गया, आओ उन्हें याद कर श्रद्धांजलि अर्पित करें,. *सरदार मनजीत सिंह* अन्याय के खिलाफ उठ खड़े होने का नाम ही सिख धर्म है *मनजीत* 

21 दिसंबर दशम पिता श्री गुरु गोविंद सिंह जी ने 22 हिंदू पहाड़ी राजाओं ने *गाय* की कसम और *मुगलों* ने कुरान की कसम खाई थी अगर गुरु गोविंद सिंह जी आनंदपुर साहिब का किला छोड़ देते हैं जो हम उनका पीछा नहीं करेंगे,
कसमों पर यकीन कर गुरु गोविंद सिंह जी ने आनंदपुर साहिब का किला छोड़ दिया, तब मुगल सेना व पहाड़ी राजाओं की सेना *गुरु साहब* का पीछा करने लगी
गुरु गोविंद सिंह जी व बड़े साहिब जादे *कोटला निहंग* रोपड़ *निहंग खान* के घर रात ठहरे
दूसरी तरफ *माता गुजर कौर* जी व छोटे साहबजादे *कुममें माशकी* की झुग्गी में रात ठहरे
22 दिसंबर को गुरु गोविंद सिंह जी व बड़े साहेबजादे चमकोर पहुंचे *चमकौर* का वह युद्ध जिसमें लाखों मुगल सेना का मुकाबला *40 सिखों* ने किया है 
गुरु साहेब के 2 बड़े *साहिबजादे* युद्ध के मैदान में लड़ते हुए शहीद हो गए,
इस युद्ध में गुरु गोविंद सिंह जी द्वारा अमृत पान करा साजे *पाच प्यारों* में से भाई *मोकम सिंह* *भाई हिम्मत सिंह* *भाई साहब सिंह चमकौर* की लड़ाई में शहीद हुए,
22 दिसंबर को ही ब्राह्मण *गंगू* *माता गुजर कौर* जी वह छोटे साहबजादे उसके गांव खीरी पहुंचे,
दौलत को देख गंगू की नियत खराब हो गई उसने रात माता गुजर कौर जी की *दौलत* वाली पोटली चुरा ली
सुबह माता जी द्वारा *गंगू* से पोटली के बारे में पूछने पर पूछने शोर मचाने लगा मैं चोर नहीं हूं, चोर नहीं हूं ,मगर लालच उसका बढ़ चुका था,
माताजी के मना करने के बाद भी इनाम की खातिर गंगू ने पुलिस को सूचना दे दी की माता गुजर कौर और छोटे साहबजादे मेरे पास हैं, गंगू की शिकायत पर गनी खान मनी खान ने माता गुजर कौर जी वह साहिबजादो को गिरफ्तार किया,
23 दिसंबर *चमकौर* की लड़ाई में दोनों बड़े साहेबजादे जब *शहीद* हो गए तो सिखों ने *गुरु साहेब* को चमकोर छोड़ जाने के लिए विवश किया,
जाते समय भाई *दया सिंह* ने साहेबजादों की लाशों पर अपनी कमर से कमर कसा खोल साहिब जादों की लाशों पर डालना चाहा, तब गुरु गोविंद सिंह जी ने मना किया कि अगर तेरे पास इतने कमर कसे हो जो सभी की लाशों को ढक सके तो मेरे पुत्रों पर भी डाल देना, यह सब भी मेरी औलाद हैं,
23 दिसंबर जुल्म और अत्याचार के खिलाफ आवाज उठाने का नाम ही *सिख धर्म* है *239 साल सिख गुरुओं* ने धरती पर लोगों के बीच सब एक पिता की संतान है, बराबरी का संदेश देने के साथ-साथ देश धर्म संस्कृति के लिए शहादते भी दी, 
अन्याय के खिलाफ उठ खड़े होने का नाम ही सिख धर्म है मनजीत

23 दिसंबर चमकौर की लड़ाई में गुरु साहिब चमकोर छोड़ जब जा रहे थे तो गुरु साहिब ने कहा हिंद का पीर जा रहा है, कोई रोक सके तो रोक ले,
24 दिसंबर माता गुजर कौर जी व साहिबजादो की गिरफ्तारी के बाद उन्हें ठंडे *बुर्ज* में कैद रखा गया

दशम पिता श्री गुरु गोविंद सिंह जी ने चमकोर छोड़ माछीवाड़ा के जंगल में रात बिताई,
24 दिसंबर चमकौर छोड़ने से पहले गुरु गोविंद सिंह जी ने भाई *संगत सिंह* को अपनी पोशाक दी, जिस वक्त भाई *संगत सिंह* दुश्मनों से मुकाबला कर रहे थे, मुगल सेना ने उन्हें गुरु गोविंद सिंह समझा, गुरु की शहादत हो गई,
25 दिसंबर 26 दिसंबर नवाब वजीर खान की कचहरी में छोटे साहबजादो को पेश किया गया,
कचहरी में साहेबजादो ने पहले एक पैर अंदर कर तब दूसरा पैर अंदर किया था, ताकि सर ना झुके कचहरी में *काजी* ने कहा नवाब साहब को झुक कर *सलाम* करो
साहिबजादों ने पहले जोर से फतेह बुलाई
 वाहेगुरु जी का खालसा वाहेगुरु जी की फतेह,
सिर झुकाने की बात पर साहिबजादो ने कहा कि यह सर सिर्फ परमात्मा के आगे झुकता है,
25 दिसंबर *माता हरशरण कोर* जी मुगल सेना के मना करने के बाद भी चमकौर की लड़ाई में शहीद सिखों की लाशों को इकट्ठा कर संस्कार किया,
25 दिसंबर को ठंडे बुर्ज में कैद छोटे साहिबजादो को देख *मोतीलाल * मेहरा ने साहिबजादों को ठंड में कांपते देखा तो गर्म दूध पिलाने के लिए अपनी लड़की के जेवर बेचकर मोतीलाल मेहरा ने साहेबजादों को दूध पिलाया,
26 दिसंबर सरहद के नवाब *वजीर खान* ने पंचायत में शेर *मोहम्मद नवाब* मलेरकोटला से कहा तुम इनकी सजा तय करो, वजीर खान सोचता था कि युद्ध के मैदान में गुरु गोविंद सिंह ने शेर मोहम्मद के भाई को मार गिराया था,
तब मलेरकोटला के नवाब ने कहा गोविंद मेरा दुश्मन है मगर बदला युद्ध के मैदान में लूंगा,  
कुरान और इस्लाम औरतों और बच्चों पर अत्याचार करने की इजाजत नहीं देता इसलिए इन्हें बरी कर दिया जाए,
जब गुरु गोविंद सिंह जी ने मलेरकोटला के नवाब के शब्द सुने तो गुरु साहिब ने कहा दुनिया से मुसलमान उजड़ जायेगा मगर मलेरकोटला में आच नहीं आएगी,
26 दिसंबर तब नवाब वजीर खान ने हुक्म दिया इन बच्चों को *जिंदा नीवो* में चिनवा दिया जाए ,
साहिबजादों को जिंदा चिनवा देने की हुकुम की तामिल होनी शुरू हुई ,
जब दीवार छोटे साहबजादे *फतेह सिंह* जिसकी उम्र 5 साल की थी और बड़े साहिबजादा *जोरावर सिंह* उम्र 7 साल थी जब दीवार छोटे साहेबजादे फतेह सिंह तक पहुंची तो बड़े भाई की आंखों में आंसू आ गए, तब फतेह सिंह ने कहा भाई मौत से डरते हो जोरावर सिंह ने कहा मौत से नहीं डरता मगर दुनिया में पहले मैं आया था और जा तू रहा है,
27 दिसंबर दिल्ली के शाही जल्लाद शासन साशल बेग व वाशल बेग ने जोरावर सिंह वह फतेह सिंह को किले की नीव में खड़ा कर उनके आसपास दीवार *चिनवानी* शुरू की,
27 दिसंबर जब दोनों छोटे साहबजादे धर्म की रक्षा के खातिर शहीद हो गए, तब यह खबर माता *गुजर कौर* जी तक पहुंची तो उन्होंने भी अपना शरीर त्याग दिया,
28 दिसंबर दीवान टोडरमल ने नवाब वजीर खान से छोटे साहिबजादे व माता गुजर कौर जी के अंतिम संस्कार के लिए जमीन मांगी,
वजीर खान ने कहा जितनी जगह चाहिए उसकी कीमत अदा करनी होगी दीवान टोडर मल ने अपना सब कुछ बेच कर यह जमीन 78000 सोने की मोहरे देकर नवाब वजीर खान से जगह खरीदी ,सोने की कीमत के अनुसार 4 गज जगह की कीमत 2 अरब पचास करोड़ की बनी, दुनिया में इससे महंगी जमीन खरीदने का रिकॉर्ड आज तक दुनिया के इतिहास नहीं मिलता, इतनी महंगी जगह कभी नहीं बिकी,
 *जोगी अल्लाह यार खान* लिखता है
एक ही तीर्थ है हिंद में यात्रा के लिए
 *कटाय बच्चे जहां बाप ने खुदा के लिए* 

चिड़ियों से मैं बाज लड़ाऊं
 गीद्धडो को मैं शेर बनाऊं,
सवा लाख से एक लड़ाऊं
 तबे गोविंद सिंह नाम कहाऊं

 *सरदार मनजीत सिंह* 
आध्यात्मिक एवं सामाजिक विचारक
प्रधान गाजियाबाद सिख गुरद्वारा प्रबंधक कमेटी 
प्रधान श्री गुरु नानक गर्ल्स इंटर कॉलेज

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