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गैर- कानूनी तरीके से भूजल निकाल रहे हैं "आर ओ प्लांट जिला प्रशासन मोन: रविंद्र आर्य

उत्तर प्रदेश की अधिनियम 7 अगस्त लखनऊ 2019 जल दोहन एक्ट का दुरुपयोग।

Ghaziabad : उत्तर प्रदेश की अधिनियम 7 अगस्त लखनऊ 2019 जल दोहन एक्ट की नियमावली 2020 मे लागू हुई थी। भूगर्भ जल विभाग इसके लिए मूल विभाग है। जिसमे की 2 साल के अंतराल में अबैध आर ओ प्लांट प्रतिबंधित नहीं किये गए। जब की आर ओ प्लांट सालों से भूगर्भ से भूजल दोहन कर ज़मीन को खोखला कर रहे हैँ। 
देश में सतही पानी की कमी के चलते निरंतर भूमिगत जल का अंधाधुंध दोहन हो रहा है। भूमिगत जल के तटीय क्षेत्रों में भूमिगत जल के स्तर में काफी गिरावट दर्ज की गई है। अपको बता दे की आर ओ प्लांट के संचालक बोरिंग हार्वेस्टिंग सिस्टम भी नहीं कराते। जिससे की जमीन का पानी जमीन में ही चला जाए। ओर आर ओ प्लांट सैकड़ो लीटर पानी नालियों में बहा देते है। शहरों में सैकड़ों की तादात में आर ओ प्लांट भूजल दोहन कर पानी के व्यवसाय से पैसा भी कमा रहे है।

यह जल दोहन का व्यवसाय प्रकृति के खिलाफ खिलवाड़ है। हम यह भूल जाते हैं कि हम स्वयं भी तो प्रकृति ही हैं। प्रकृति ने करोड़ों सालों में एक अनुशासन और नियंत्रण की व्यवस्था बनाई थी, जिसे हमने यह मानकर बिगाड़ दिया कि हम इसका विकल्प बना सकते हैं। दुर्भाग्य की बात यह है कि प्रकृति का यह नया संतुलन हमारे जीवन के संतुलन को बिगाड़ रहा है। हम जितनी जल्दी इस बात को समझ जाएं, उपचार की संभावनाएं उतनी ही बची रहेंगी।
बता दे की यह जल दोहन का व्यवसाय कोई गुप्त तरीके से भी नहीं होता है। मार्किट में अबैध आर ओ प्लांट खुलेआम देखे जाते है। क्यों की आर ओ प्लांट से पानी की सप्लाई टैंकरो ओर बोतलों से घर-घर और दुकानदारों को मार्किट में खुलेआम की जाती है।
इसमें जनता जल संबंधित विभाग जैसे- भूगर्भ जल एवं लघु सिचाई खंड को शिकायत पत्र आदि भी नहीं करती। उसका मुख्य कारण है की आम जनता को भी आर ओ पानी की आदत आज एक जरुरत-सी बन गई है। जब की बिना जनमानस की सहभागिता के भूजल दोहन पर लगाम लगाने का कार्य कभी पूरा नहीं हो सकता। इसमें जनता ही नहीं चाहती की जल दोहन कर रहे आर ओ प्लांटो पर लगाम लगे।

पिछले कुछ वर्षों में दिल्ली, चेन्नई, इंदौर, कोयंबटूर, मदुरै, विजयवाड़ा, देहरादून, जयपुर, इलाहाबाद, गाजियाबाद, कानपुर और लखनऊ के कुछ हिस्सों में यह गिरावट चार मीटर से अधिक थी। दिन प्रतिदिन भूगर्भ का जलस्तर घटता जा रहा है। जिसमे की आम जनता ही ज़मीन में बोरिंग करके भूमि को खोखला कर व्यवसाय कर रही है। कुछ व्यवसाय व्यक्ति तो व्यवसाय भी जल दोहन से ही कर रहे है। जब की भूगर्भ जल विभाग या लघु सिचाई खंड से प्राप्त बिना एनओसी (No Objection Certificates) अनुमति के व्यक्ति भूगर्भ से भूजल दोहन नहीं कर सकते। भूजल का उपयोग करने से पहले सभी कंपनियों को सरकार से एक एनओसी लेनी होती है, भारत में भूजल दोहन करने के दिशानिर्देशों के मुताबिक, ग्रामीण पेयजल आपूर्ति योजना के अंतर्गत आने वाले केवल शहरी क्षेत्रों में माइक्रो और स्मॉल एंटरप्राइजेज ही बिना एनओसी के एक दिन में 10 क्यूबिक मीटर से कम का भूजल उपयोग कर सकते हैं। बताते चले की एक आर ओ प्लांट छोटे पानी की क्षमता 500 LPH आर ओ रिवर्स असमस प्रणाली एक दिन में 20 से 30 हजार लीटर भूजल दोहन करती है।

जब की एनजीटी के कितने ड्राफ्ट और नियम लागू किये हुए है। उसके बाबजूद भूगर्भ जल विभाग जनमानस जल दोहन को लेकर गभीर नहीं होती। गंभीरता का उदहारण भूगर्भ जल एवं लघु सिचाई खंड के नोटिस के उपरांत भी अबैध आर ओ प्लांट पूर्ण रूप से बंद नहीं कर पाने में असमर्थ है। जब की उ.प्र. अधिनियम 2019 जल दोहन एक्ट के अनुसार जल दोहन करने वाले व्यक्ति पर 2 लाख से 5 लाख का जुर्माना और 6 महीने से 1 साल की सजा का प्रावधान भी है।

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