गाजियाबाद :-दक्ष प्रजापति जयंती के पवित्र अवसर पर कोर्ट परिसर में भव्य और धार्मिक अनुष्ठान का आयोजन विद्वान अधिवक्ता रंजना प्रजापति और समस्त प्रजापति विद्वान अधिवक्ता सहयोगियों द्वारा बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। इस अवसर पर सभी ने मिलकर दीप प्रज्वलन किया, दक्ष प्रजापति को पुष्प,माला अर्पित किये और उनकी याद में एक विशेष भंडारे का भी आयोजन हुआ। विशेष बात ये रही कि सभी उपस्थित लोगों में प्रसाद वितरित किये गये, जिसमे कई लोगों ने भाग लेकर सेवा का भाव दिखाया। इस पवित्र कार्यक्रम में सभी ने बड़े उत्साह और श्रद्धा के साथ भाग लिया। गाजियाबाद बार एसोसिएशन के अध्यक्ष दीपक शर्मा जी और सचिव के अलावा कोर्ट के विभिन्न कर्मचारी, वकील, एवं स्थानीय नागरिको ने इस समारोह में अपनी उपस्थिति से इसे और भी सफल बनाया। मंत्र उचारण, और प्रार्थना के माध्यम से पूरे परिसर में एक धार्मिक और शांतिमय पर्यावरण बन गया था। इस अवसर पर कुछ समर्पण लोगों ने कहा,सृष्टिकर्ता ब्रह्मा के पुत्र गुरु दक्ष प्रजापति वेदों, यज्ञों और परिवार प्रणाली के आधार स्तंभ माने जाते हैं। उन्होंने अनुशासन और मर्यादा को समाज में स्थापित किया, किन्तु शिव-सती प्रसंग के माध्यम से यह भी दिखाया कि कठोरता से प्रेम मर जाता है। आज की पीढ़ी के लिए उनका जीवन-संदेश यह है—“कर्तव्य, सहिष्णुता और संतुलन ही सच्चे धर्म का स्वरूप है। भारतीय वैदिक परंपरा में “दक्ष प्रजापति” एक ऐसा नाम है, जो सृष्टि के आरंभ से ही जुड़ा हुआ है। ब्रह्मा जी के मानस पुत्र,प्रजापतियों में सर्वश्रेष्ठ, जिनका नाम ही‘दक्ष’अर्थात ‘कुशलता’ का प्रतीक है। गुरु दक्ष केवल एक ऋषि या सृष्टिकर्ता नहीं थे, वे वेद, यज्ञ, अनुशासन, मर्यादा और पारिवारिक मूल्य प्रणाली के प्रणेता भी माने जाते हैं। वेदों, पुराणों और उपनिषदों में उनका उल्लेख किसी देवता के रूप में नहीं, बल्कि एक ऐसे मनीषी के रूप में हुआ है जिनका जीवन अनुकरणीय था और जिनकी जीवन दृष्टि आज भी सामाजिक संतुलन और नैतिकता का मार्गदर्शन करती है। "दक्ष प्रजापति त्याग, कर्तव्य और मर्यादा के प्रतीक हैं। उनकी याद हम सबको अपने कर्तव्य के प्रति जागरूक रहने की प्रेरणा देते हैं।" ऐसे धार्मिक अवसर से न केवल सामाजिक एकता का संदेश देते हैं, बालकों के बीच सेवाभाव और धर्म के प्रति श्रद्धा भी बढ़ती है।
रंजना प्रजापति(एडवोकेट),गाजियाबाद
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