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छोटी-छोटी लकड़ियां मिट्टी में बो कर 3 साल के बालक ने कहा बंदूकों की खेती कर रहा हूं, जब बंदूकें बड़ी हो जाएगी तब इनसे अंग्रेजों को देश से बाहर भगा दूंगा, : भगत सिंह

Ghaziabad : आजादी की लड़ाई सन 1857 में शुरू हुई एक तरफ मेरठ से लेकर हरियाणा तक विरोध की आवाज उठी तो दूसरी तरफ पंजाब से बाबा राम सिंह जी के नेतृत्व में यह आवाज उठी, धीरे-धीरे पूरे देश में अंग्रेजों के खिलाफ बगावत की आवाज होती रही तब यह आवाज उड़ते उड़ते पूरे देश में फैल गई,

इसी में एक क्रांतिकारी का जन्म हुआ जिसका नाम भगत सिंह था, भगत सिंह जब 3 साल का था तभी अपने चाचा के साथ खेत में गया और छोटी-छोटी लकड़ीया मिट्टी में बो रहा था, चाचा के पूछने पर कहा बंदूकों की खेती कर रहा हूं, जब बंदूक बड़ी हो जाएंगी तब इनसे अंग्रेजों को देश से बाहर भगा दूंगा, 3 साल के बच्चे के मुंह से यह बात सुन सभी हैरान थे कि कितना जज्बा था देश के प्रति कि बड़ा होकर अंग्रेजों को भगा देंगे ऐसा था *भगत सिंह* 


इसी बीच अंग्रेजों ने 13 अप्रैल 1919 को जलियांवाला बाग कांड किया जिसमें सैकड़ों लोग शहीद हो गए लोग जान बचाने एक कुएं में कूद रहे थे, उसी हादसे ने पूरे देश को हिलाकर रख दिया, चारों तरफ इस कांड की निंदा होने लगी और वहीं से अंग्रेजों के खिलाफ एक पूरे देश में बिगुल बजा और चारों तरफ से नौजवान इस क्रांति में कूद गए,

उसी में *भगत सिंह* भी अपने परिवार के साथ अमृतसर जलियांवाला बाग कांड स्थल को देखने गया तब भगत सिंह की उम्र सिर्फ 10 साल की थी, भगत सिंह जलियांवाला बाग कांड के शहीदों की लहू से सनी मिट्टी को एक बोतल में भर रहा था, चाचा ने पूछा इस मिट्टी को ले जाकर क्या करोगे तब भगत सिंह ने कहा कि यह मिट्टी हमें अंग्रेजों के अत्याचार की कहानी बयान करती रहेगी कि बड़े होकर अंग्रेजों से इसका बदला लेना है

भगत सिंह एक शाम नहर के किनारे घूम रहा था राजगुरु उनके साथ थे भगत सिंह ने कहा कि आओ देश से शादी कर ले और देश से अंग्रेजों को भगाकर दम लेंगे, वापसी के सफर में दोनों क्रांतिकारी चुप थे शांत थे जैसे बहुत बड़ी जिम्मेदारी कंधों पर आ गई हो

भगत सिंह छोटी सी उम्र में देश में नौजवानों की आवाज बने, नौजवानों ने आजादी की लड़ाई में लड़ने के लिए सैकड़ों नहीं हजारों लाखों नौजवान खड़े हो गए और चारों तरफ देश में अंग्रेजों के खिलाफ आवाज बने *भगत सिंह* जैसे जैसे आगे बढ़ते चले बहुत से नौजवान जुड़ते चले

भगत सिंह ने साथियों से बातचीत की कि यह अंग्रेज हमारी बात नहीं सुन रहे तो उन्होंने संसद में धमाका करने के इरादे से संसद में बम का धमाका करने की योजना बनाई

भगत सिंह उसके साथी राजगुरु और सुखदेव ने यह बम पास में ही गांव नलगड़ा में बनाया, यह गांव आज नोएडा में है वह पत्थर आज भी उस गांव में मौजूद है मैंने अपनी आंखों से उस पत्थर को देखा जिस पर रखकर बम बनाया गया था तब भगत सिंह और उसके साथियों ने वह बम संसद में फेंका सिर्फ धमाका करने के लिए जान लेने के इरादे से नहीं और धमाका भी इसलिए के बहरो को सुनाने के लिए धमाके की जरूरत होती है इसलिए संसद में बम फेंक दुनिया को भी बता दिया कि अगर हम धमाका कर सकते हैं तो जाने भी ले सकते हैं भगत सिंह और उसके साथी बम फेंक भागे नहीं बलिक अंग्रेजों को देश छोड़ो देश छोड़ो के नारे लगा रहे थे

भगत सिंह और दूसरे साथियों को गिरफ्तार कर लिया गया भगत सिंह और साथियों पर मुकदमा चला सारे देश में हलचल मच गई भगत सिंह के नारों से पूरा देश गूंज रहा था इंकलाब जिंदाबाद इंकलाब जिंदाबाद अंग्रेजों भारत छोड़ो

भगत सिंह और उसके साथी राजगुरु सुखदेव को फांसी का हुक्म हो गया जेल में रहकर भी भगत सिंह और उसके साथी आंदोलन करते रहे कभी अखबार के लिए तो कभी अच्छी रोटी के लिए संघर्ष किया बहुत से कैदियों को खाना नहीं मिलता था भगत सिंह इस तरह नौजवानों के बीच एक हीरो की तरह बने नौजवान उनके विचारों को पूरे देश में घूम घूम कर आवाज बुलंद करते रहे पूरे देश में धीरे-धीरे अंग्रेजो के खिलाफ बगावत बढ़ती रही बहुत कोशिश के बाद भी भगत सिंह ने फांसी की सजा की माफी नहीं मांगी भगत सिंह और साथियों को 24 मार्च 1931 को फांसी का दिन तय किया गया तभी महात्मा गांधी ने कहा कि 24 मार्च को कांग्रेस का अधिवेशन है लोहार के अंदर किसी तरह का कोई दंगा ना हो इसलिए भगत सिंह राजगुरु सुखदेव को 23 मार्च 1931 को शाम 6 बज कर 33 मिनट पर सूरज डूबने के बाद फांसी दी गई जिसका बहुत विरोध हुआ सतलुज नदी के किनारे फांसी देने के बाद जब उनकी लाशों को लाया गया तब वहां हजारों लोग इकट्ठा हो गए और उन्होंने उनका संस्कार खुद अपने हाथों से किया इस तरह भगत सिंह और उनके साथियों की शहादत के बाद अंग्रेज भगाओ की लहर तेज हुई

तब कहीं जाकर देश को आजादी सन 1947 में मिली मगर भगत सिंह कहा करते थे यह लड़ाई तब तक जारी रहेगी गोरे अंग्रेजों के साथ ही नहीं काले अंग्रेजों के साथ भी लड़ना होगा

भगत सिंह देश में समानता चाहते थे गरीब और गरीब ना हो और अमीर और अमीर ना हो भगत सिंह देश के नौजवानों की आवाज बने आजादी की राह भगत सिंह और उसके साथियों द्वारा जो मुहिम चलाई गई उसे पूरा देश खड़ा हो गया आज इसलिए हम भगत सिंह को *शहीद ए आजम भगत सिंह* के नाम से पुकारते हैं, शहीद भगत सिंह अमर रहे जब तक सूरज चांद रहेगा तब तक *भगत सिंह राजगुरु सुखदेव* तेरा नाम रहेगा

ऐसे वीर नौजवान के बारे में लिखना आसान नहीं, अगर हम उस वीर के बारे में तभी लिखें जब हम न्याय कर सके उसकी दिखाई राह पर चल सके आज भी भगत सिंह की आवाज गूंजती है देश में जब जब अन्याय होगा भगत सिंह धरती पर आते रहे हैं, आते रहेंगे,

इंकलाब जिंदाबाद शहीद भगत सिंह अमर रहे के नारे गूंजते रहेंगे गूंजते रहेंगे 


 **सरदार मंजीत सिंह* 

 *आध्यात्मिक एवं सामाजिक विचारक* 

 *संयोजक सिख ऐड*

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