GHAZIABAD :- योगी सरकार की जीरो टॉलरेंस की नीति को खाकी लग रही है पलीता गाजियाबाद का सबसे विशेष मामला प्रकाश में आया है यह मामला मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट गाजियाबाद की अदालत में चल रहा है जिसकी जानकारी देते हुए अधिवक्ता ने मीडिया में जानकारी देते हुए बताया कि मेरा नाम प्रमोद ए आर निमेश से लूट प्रकरण 2021 में इंदिरापुरम पुलिस के द्वारा जानबूझकर घोर लापरवाही बरते आदि के
संबंध में प्रभारी निरीक्षक संजीव कुमार शर्मा, SSI सर्वेश यादव, उप निरीक्षक गोविंद सिंह के विरुद्ध न्यायालय मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट गाजियाबाद से NBW व भगोड़े की कार्यवाही (धारा 82 द.प्र.स.) जारी थी।
विपक्षी द्वारा दायर प्रार्थना पत्र धारा 482द.प्र.स. में उच्च न्यायालय इलाहाबाद द्वारा NBW व भगोड़े की कार्यवाही (धारा 82 द.प्र.स.) को set aside कर दिया और टिपण्णी की कि प्रस्तुत प्रकरण झूठा प्रतीत नहीं होता है। इसलिए प्रकरण की पुनः जांच डीसीपी/एसपी स्तर से 60 दिन पूर्ण कर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट गाजियाबाद के न्यायालय में दाखिल करने के लिए पुलिस आयुक्त गाजियाबाद को आदेशित/निर्देशित किया गया। जिसके अनुपालन में पुलिस आयुक्त गाजियाबाद ने उक्त प्रकरण की जाँच के लिए जाँच अधिकारी डीसीपी ट्रांस हिंडन निमिष पाटिल दशरथ को समयबद्द जाँच करने के लिए नियुक्त किया. जाँच अधिकारी डीसीपी ट्रांस हिंडन निमिष पाटिल दशरथ ने न्यायिक कार्यवाही में आरोपी पुलिसकर्मियों को बचाने के दुराश्य से कदाचार, पक्षपातपूर्ण आचरण, भ्रष्टता पूर्वक अशुद्ध अभिलेख तैयार करने आदि के संबंध में प्रकरण से भिन्न तथ्यों का उल्लेख कर जानबूझकर लापरवाही बरती. वादी एडवोकेट प्रमोद ए आर निमेश द्वारा जाँच अधिकारी के विरुद्ध अपने पद का दुरूपयोग करने, न्यायिक प्रशासन में बांधा उत्पन्न करने आदि के सम्बन्ध में मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट गाजियाबाद के न्यायालय में परिवाद दर्ज कराया गया है। जिसमें नए कानूनी प्रावधानों के तहत आरोपी/विपक्षी को अपना पक्ष रखने का अवसर दिया जाता है। इसी अनुक्रम में डीसीपी ट्रांस हिंडन को अपना पक्ष रखने हेतु मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट के न्यायालय से नोटिस जारी है, जब इस संबंध में डीपी से हमारे संवाददाता ने संपर्क साधने का प्रयास किया तो उन्होंने इस मामले में अपना योगदान दिया मीडिया कोई हस्तक्षेप नहीं चाहिये और ना ही उन्होंने इस मामले में अपना पक्ष रखने से इस संबंध में मना किया उन्होंने कहा यह मामला न्यायालय में विचार अधीन है जो न्यायालय फैसला लेगी मैं उसको खुशी-खुशी मानूँगा
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