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ऐसे बचें डेगू बुखार से, होम्योपैथी में है डेगू की कारगर दवा

डॉ रूप कुमार बनर्जी, होम्योपैथिक चिकित्सक


 डेंगू अपने पांव पसार रहा है। शुरुआत में सामान्य-सा लगनेवाला यह बुखार देरी या गलत इलाज से जानलेवा साबित हो सकता है। वक्त पर सही इलाज हो तो हालात को समय रहते सुधारा जा सकता है ।


कैसे और कब होता है डेगू :-डेंगू मादा एडीज इजिप्टी मच्छर के काटने से होता है। इन मच्छरों के शरीर पर चीते जैसी धारियां होती हैं। ये मच्छर दिन में, खासकर सुबह काटते हैं। डेंगू बरसात के मौसम और उसके फौरन बाद के महीनों यानी जुलाई से अक्टूबर में सबसे ज्यादा फैलता है क्योंकि इस मौसम में मच्छरों के पनपने के लिए अनुकूल परिस्थितियां होती हैं। एडीज इजिप्टी मच्छर बहुत ऊंचाई तक नहीं उड़ पाता। 


*कैसे फैलता है* :-डेंगू बुखार से पीड़ित मरीज के खून में डेंगू वायरस बहुत ज्यादा मात्रा में होता है। जब कोई एडीज मच्छर डेंगू के किसी मरीज को काटता है तो वह उस मरीज का खून चूसता है। खून के साथ डेंगू वायरस भी मच्छर के शरीर में चला जाता है। जब डेंगू वायरस वाला वह मच्छर किसी और इंसान को काटता है तो उससे वह वायरस उस इंसान के शरीर में पहुंच जाता है, जिससे वह डेंगू वायरस से पीड़ित हो जाता है। 


*कब दिखती है बीमारी* :-


काटे जाने के करीब 3-5 दिनों के बाद मरीज में डेंगू बुखार के लक्षण दिखने लगते हैं। शरीर में बीमारी पनपने की मियाद 3 से 10 दिनों की भी हो सकती है। 


*कितने तरह का होता है डेंगू* :- यह तीन तरह का होता है 


1. क्लासिकल (साधारण) डेंगू बुखार , 


2. डेंगू हैमरेजिक बुखार (DHF) , 


3. डेंगू शॉक सिंड्रोम (DSS)


इन तीनों में से दूसरे और तीसरे तरह का डेंगू सबसे ज्यादा खतरनाक होता है। साधारण डेंगू बुखार अपने आप ठीक हो जाता है और इससे जान जाने का खतरा नहीं होता लेकिन अगर किसी को डेगू हैमरेजिक बुखार या डेगू शाक सिड्रोम है और उसका फौरन इलाज शुरू नहीं किया जाता है तो जान जा सकती है। इसलिए यह पहचानना सबसे जरूरी है कि बुखार साधारण डेंगू है या 


डेगू हैमरेजिक बुखार, डेगू शाक सिड्रोम है। 


*लक्षण* :-


*साधारण डेंगू बुखार*:- 


ठंड लगने के बाद अचानक तेज बुखार चढ़ना , सिर, मांसपेशियों और जोड़ों में दर्द होना , आंखों के पिछले हिस्से में दर्द होना, जो आंखों को दबाने या हिलाने से और बढ़ जाता है , बहुत ज्यादा कमजोरी लगना, भूख न लगना और जी मिचलाना और मुंह का स्वाद खराब होना , गले में हल्का-सा दर्द होना , शरीर खासकर चेहरे, गर्दन और छाती पर लाल-गुलाबी रंग के रैशेज होना ! 


*क्लासिकल साधारण डेंगू बुखार*:- करीब 5 से 7 दिन तक रहता है और मरीज ठीक हो जाता है। ज्यादातर मामलों में इसी किस्म का डेंगू बुखार होता है। 


*डेंगू हैमरेजिक बुखार* :-


नाक और मसूढ़ों से खून आना , शौच या उलटी में खून आना , स्किन पर गहरे नीले-काले रंग के छोटे या बड़े चिकत्ते पड़ जाना ! अगर क्लासिकल साधारण डेंगू बुखार के लक्षणों के साथ-साथ ये लक्षण भी दिखाई दें तो सावधान हो जाईये! 


*ब्लड टेस्ट कराएं* 


*डेंगू शॉक सिंड्रोम*:-इस बुखार में डेगू हैमरेजिक बुखार के लक्षणों के साथ-साथ 'शॉक' की अवस्था के भी कुछ लक्षण दिखाई देते हैं। जैसे :- मरीज बहुत बेचैन हो जाता है और तेज बुखार के बावजूद उसकी स्किन ठंडी महसूस होती है। 


मरीज धीरे-धीरे होश खोने लगता है , मरीज की नाड़ी कभी तेज और कभी धीरे चलने लगती है , उसका ब्लड प्रेशर एकदम कम हो जाता है। अगर तेज बुखार हो, जोडो में तेज दर्द हो या शरीर पर दाने हों तो पहले दिन ही डेंगू का टेस्ट करा लेना चाहिए। अगर लक्षण नहीं हैं, पर तेज बुखार बना रहता है तो भी एक-दो दिन के इंतजार के बाद चिकित्सक के पास जरूर जाएं। 


*प्लेटलेट्स की भूमिका* :-


आमतौर पर तंदुरुस्त आदमी के शरीर में डेढ़ से दो लाख प्लेटलेट्स होते हैं। प्लेटलेट्स शरीर से अत्यधिक रक्तश्रlव रोकने का काम करती हैं। अगर प्लेटलेट्स एक लाख से कम हो जाएं तो उसकी वजह डेंगू हो सकता है। हालांकि यह जरूरी नहीं है कि जिसे डेंगू हो, उसकी प्लेटलेट्स नीचे ही जाएं। प्लेटलेट्स अगर एक लाख से कम हैं तो मरीज को फौरन हॉस्पिटल में भर्ती कराना चाहिए।


*बच्चों में खतरा ज्यादा* :--


बच्चों की प्रतिरोधक क्षमता ज्यादा कमजोर होता है और वे खुले में ज्यादा रहते हैं इसलिए उनके प्रति सचेत होने की ज्यादा जरूरत है। ध्यान दें कि बच्चे घर से बाहर पूरे कपड़े पहनकर जाएं। जहां खेलते हों, वहां आसपास गंदा पानी न जमा हो। स्कूल प्रशासन इस बात का ध्यान रखे कि स्कूलों में मच्छर न पनप पाएं। बहुत छोटे बच्चे खुलकर बीमारी के बारे में बता भी नहीं पाते इसलिए अगर बच्चा बहुत ज्यादा रो रहा हो, लगातार सोए जा रहा हो, बेचैन हो, उसे तेज बुखार हो, शरीर पर रैशेज हों, उलटी हो या इनमें से कोई भी लक्षण हो तो फौरन डॉक्टर को दिखाएं क्योंकि बच्चों में प्लेटलेट्स जल्दी गिरते हैं और उनमें डीहाइड्रेशन (पानी की कमी) भी जल्दी होता है। 


*इलाज*:- अगर मरीज को साधारण डेंगू बुखार है तो उसका इलाज व देखभाल घर पर की जा सकती है , अगर बुखार 102 डिग्री फॉरेनहाइट से ज्यादा है तो मरीज के शरीर पर पानी की पट्टियां रखें, सामान्य रूप से खाना देना जारी रखें , बुखार की हालत में शरीर को और ज्यादा खाने की जरूरत होती है , मरीज को आराम करने दें तथा चिकित्सक से ज़रूर संपर्क करें ! 


*बरतें एहतियात*:-


ठंडा पानी न पीएं, मैदा और बासी खाना न खाएं, खाने में हल्दी, अजवाइन, अदरक, हींग का ज्यादा-से-ज्यादा इस्तेमाल करें, इस मौसम में पत्ते वाली सब्जियां, अरबी, फूलगोभी न खाएं, हल्का खाना खाएं, जो आसानी से पच सके, पूरी नींद लें, खूब पानी पीएं और पानी को उबालकर पीएं, मिर्च मसाले और तला हुआ खाना न खाएं, भूख से कम खाएं, पेट भर न खाएं, खूब पानी पीएं, छाछ, नारियल पानी, नीबू पानी आदि खूब पिएं, अपनी मर्जी से कोई भी दवा न लें, अगर बुखार ज्यादा है तो डॉक्टर के पास जाएं और उसकी सलाह से ही दवाई लें ! 


*डेंगू से कैसे बचें* :-डेंगू से बचने के दो ही उपाय हैं। एडीज मच्छरों को पैदा होने से रोकना। एडीज मच्छरों के काटने से बचाव करना। 


*मच्छरों को पैदा होने से रोकने के उपाय*:- घर या ऑफिस के आसपास पानी जमा न होने दें, गड्ढों को मिट्टी से भर दें, रुकी हुई नालियों को साफ करें , अगर पानी जमा होेने से रोकना मुमकिन नहीं है तो उसमें पेट्रोल या केरोसिन ऑयल डालें, रूम कूलरों, फूलदानों का सारा पानी हफ्ते में एक बार और पक्षियों को दाना-पानी देने के बर्तन को रोज पूरी तरह से खाली करें, उन्हें सुखाएं और फिर भरें , घर में टूटे-फूटे डिब्बे, टायर, बर्तन, बोतलें आदि न रखें, डेंगू के मच्छर साफ पानी में पनपते हैं, इसलिए पानी की टंकी को अच्छी तरह बंद करके रखें, अगर मुमकिन हो तो खिड़कियों और दरवाजों पर महीन जाली लगवाकर मच्छरों को घर में आने से रोकें , मच्छरों को भगाने और मारने के लिए मच्छरनाशक क्रीम, स्प्रे, मैट्स, कॉइल्स आदि इस्तेमाल करें , गुग्गुल के धुएं से मच्छर भगाना अच्छा देसी उपाय है , घर के अंदर सभी जगहों में हफ्ते में एक बार मच्छरनाशक दवा का छिड़काव जरूर करें। यह दवाई फोटो-फ्रेम्स, पर्दों, कैलेंडरों आदि के पीछे और घर के स्टोर-रूम और सभी कोनों में जरूर छिड़कें। 


*मच्छरों के काटने से बचाव* :--ऐसे कपड़े पहने, जिससे शरीर का ज्यादा - से- ज्यादा हिस्सा ढका रहे खासकर बच्चों के लिए यह सावधानी बहुत जरूरी है, बच्चों को मलेरिया सीजन में निक्कर व टी-शर्ट न पहनाएं, 


रात को सोते समय मच्छरदानी लगाएं, कई बार चौथे-पांचवें दिन बुखार कम होता है तो लगता है कि मरीज ठीक हो रहा है, जबकि ऐसे में अक्सर प्लेटलेट्स गिरने लगते हैं , बुखार कम होने के बाद भी एक-दो दिन में एक बार प्लेटलेट्स काउंट टेस्ट जरूर कराएं, अगर किसी को डेंगू हो गया है तो उसे मच्छरदानी के अंदर रखें, ताकि मच्छर उसे काटकर दूसरों में बीमारी न फैलाएं।


*होमियोपैथिक उपचार*


 इयुपेटोरियम परफोलियेटम एक ऐसी विशेष होम्योपैथिक दवा है जो डेंगू बुखार के लिए निवारक और उपचारात्मक के रूप में बराबर लाभप्रद काम करता है । यहाँ, मैं यह कहूँगा कि कोई भी दवा की स्व-दवा से बचें और इसके बजाय होम्योपैथिक दवा लेने के लिए एक योग्य होमियोपैथ से परामर्श करें।इसी तरह की कई अन्य प्रभावी दवाएं जैसे फासफोरस , आर्स एल्ब, इपेकैक,बेलाडोना,रसटाक्स आदि हैं जो मरीजों के लक्षणों के अनुसार दी जाती हैं। 


*सामान्य टिप्स*:- जटिलताओं को दूर करने के लिए अच्छी मात्रा में तरल पदार्थों के हाइड्रेशन या लगातार पीने की आवश्यकता होती है।होम्योपैथिक दवाएं डेंगू में बहुत प्रभावी साबित हो रही हैं ! हालांकि डेंगू'शब्द ही एक डर सा पैदा करता है, लेकिन घबराने की कोई जरूरत नहीं है क्योंकि यह एक स्व- सीमित वायरल बीमारी है। लोगों को बस सतर्क रहने की आवश्यकता है और चिकित्सक से परामर्श करने की आवश्यकता है।


*प्रस्तुति- विनय कुमार मिश्र*


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