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मेरठ में नेत्रहीन बच्चों पर प्रशासन का अत्याचार

सोशल मीडिया साभार:  मेरठ में नेत्रहीन बच्चों को न तो रात का पूरा खाना मिलता है, न सुबह का नाश्ता ठीक से मिलता है। भूख से परेशान ये नेत्रहीन बच्चे सरकार से कृपादृष्टि की गुहार लगाते घूम रहे हैं। मगर, उनकी सुनवाई नहीं हो रही। 



परतापुर में नेत्रहीन बच्चों के लिए स्पर्श राजकीय दृष्टिबाधित बालक इंटर कॉलेज है। यहां नेत्रहीन बच्चों के लिए हॉस्टल भी है, जिसमें करीब 100 बच्चे रहते हैं।


ये बच्चे पूरी रात भूख से बिलबिलाते रहते हैं। वजह ये है कि भीषण सर्दी के दिनों में यहां भोजन बनाने के लिए जो चार महिलाएं रखी हैं। उनको इन बच्चों से पहले अपने बच्चों का ख्याल रहता है। 


खाना बनाने वाली ये महिलाएं सुबह अपने बच्चों के लिए नाश्ता बनाकर देर से हॉस्टल आती हैं। तब तक इन बच्चों के नाश्ते का टाइम निकल जाता है। शाम को ये महिलाएं अपने बच्चों का खाना टाइम पर बनाने के लिए हॉस्टल में नेत्रहीन बच्चों का खाना जल्दी बनाकर चली जाती हैं।


सरकार ने साल 2017 में भोजन भत्ता 1200 रुपए से बढ़ाकर 2000 रुपए किया था। चार साल बीत चुके हैं और कोरोना के कारण महंगाई भी काफी बढ़ चुकी है। ऐसे में बच्चों की मांग है कि उनका भोजन भत्ता भी बढ़ाया जाए, ताकि बच्चे पौष्टिक आहार ले सकें।


दृष्टिहीन बच्चों के स्कूल में एक वॉर्डन भी रखने की मांग की जा रही है, जो इन बच्चों की देखभाल कर सके। इसके अलावा सफाई और अन्य कार्यों का निरीक्षण भी कर सके। स्कूल में बस का न होना भी एक बड़ी समस्या है। 

बच्चों की शिकायत है कि उन्हें स्कूल से कहीं भी आने जाने में पब्लिक ट्रांसपोर्ट का सहारा लेना पड़ता है। इसकी वजह से काफी परेशानी होती है।


उन्हें पिक एंड ड्रॉप के लिए एक स्कूल बस की सुविधा दी जाए। ताकि ये नेत्रहीन बच्चे किसी परेशानी में आसानी से बस से आ, जा सकें। हॉस्टल में किसी छात्र को परेशानी हो, कोई बीमार हो तो उसे इलाज के लिए ले जाने में दिक्कत होती है।


*लेकिन इन नेत्रहीन बच्चों को सरकार दरकिनार करके सिर्फ अपनी जेबे भरने में व्यस्त हैं, ऐसे में इन बच्चों को तरह तरह की समस्या का सामना करना पड़ रहा।

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