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गाजियाबाद यहां एक साथ गूंजती है आरती और अजान यही मेरा शहर है : सरदार मनजीत सिंह

गाजियाबाद : एक साथ गूंजती है आरती व अजान,

यही मेरा शहर है गाजियाबाद हम एक साथ मिलकर मनाते हैं ईद और दीवाली,


बस यही तो कहना चाहता हूं,

क्योंकि अब फिर आया है चुनाव

सभी चल दिए वोटो को इकट्ठा करने,

कोई धर्म के नाम पर वोट मांगेगा

कोई जाति के नाम पर वोट मांगेगा,

 *बस यही तो कहना चाहता हूं* 


भाई धर्म जाति का बंधन नहीं

इंसानियत से रिश्ते जुड़ते हैं,

आ जाए कोई संकट

तो एक हो निपटते हैं,

 *बस यही तो कहना चाहता हूं* 

सभी एक दूसरे के साथ मिलकर त्यौहार मनाते हैं,

आए अगर मदद की बात

सभी एकजुट हो जाते हैं,

 भूखा रहता नहीं कोई क्योंकि लंगर हम लगाते हैं,

 *बस यही तो कहना चाहता हूं* 

बोट वालों तुम आना अपनी काबिलियत पर वोट मांग जाना,

कभी धर्म जाति का जिक्र करना नहीं,

हम आपस में एक होकर रहते हैं

 *बस यही तो कहना चाहता हूं* 

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