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हे परमात्मा, हे मोहन, मेरे घर आओ अरदास करता हूं, मेरी अरदास सुन मेरे घर आओ ! सरदार मनजीत सिंह

गाजियाबाद : परमात्मा, हे मोहन, मेरी अरदास सुनो तेरे आगे हाथ जोड़ विनती कर रहा हूं मेरे घर आओ,र जिओ, हर जिओ, हे परमात्मा, हे परमात्मा मेरी अरदास सुन मेरे घर आओ कभी परमात्मा से परमात्मा मांग के देखो *मनजीत* 

रोजाना ही देखते हैं चाहे किसी धर्म का पूजा स्थल हो, सैकड़ों हजारों पवित्र पूजा स्थल हैं जहां लाखों लोग अपने परमात्मा के आगे शीश झुका कर दुनियावी सुख, दौलत, गृहस्थ जीवन की खुशियां यही सब परमात्मा अल्लाह खुदा भगवान ईश्वर वाहेगुरु से मांगते हैं बहुत कम संख्या के लोग परमात्मा से परमात्मा को मांगते हैं, आओ आज हम मिलकर अरदास करें मिलकर अरदास करें *मनजीत* 


मोहन घर आओ विनती कर रहा हूं कि मोहन मेरे घर आओ, हे परमात्मा मेरी बिनती सुन मेरी अरदास सुन, मेरी पुकार सुन, रोज रोज पुकारता हूं, तुझे तेरे दर पर आकर हाथ जोड़ तुझसे बस तुझे ही मांगता हूं, ऐ खुदा तू जब मेरे घर आ जाएगा तो फिर मुझे किसी और चीज की जरूरत नहीं,

यही पुकार मेरी, यही पुकार मेरी *मनजीत* 

दोस्तों कभी सोचा है की पूजा स्थलों पर इतनी संख्या में लोग क्यों जाने लगे, क्यों हमारे अंदर शांति की कमी आई, हम बेचैन से रहने लगे, धरती पर स्वार्थ इतना बढ़ गया कि हम बिना स्वार्थ के किसी की बात ही नहीं सुनते और ना ही करते हैं, इसलिए भी पूजा स्थलों में लोगों की भीड़ बढ़ती जा रही है, धरती पर अब लोगों की सुनने वालों की संख्या कम होती जा रही है, उनकी मदद करने वालों की संख्या कम होती जा रही है,

पूर्व में ऐसा नहीं था, लोग एक दूसरे की मदद करते थे एक दूसरे की सुनते थे, उनकी परेशानी को हल करने का प्रयास करते थे, अब ऐसा कम नजर आता है, क्योंकि हम दौलत के पीछे भागने लगे और दौलत के लिए पाप भी कर रहे हैं, गुनाह कर रहे हैं,

दोस्तों आपने देखा होगा लोग अपने लिए तो दिन-रात मांगते ही हैं मगर उन्हें ज्यादा मजा दूसरों के नुकसान मांगने में आ रहा है, जबकि रिजक देना परमात्मा का काम है, परमात्मा हमारा मददगार है, हम अगर किसी का भला नहीं कर सकते तो ना करें मगर उसका बुरा भी ना सोचे, यह सोच हमें अशांत कर रही है अपने लिए हम कुछ भी मांगे सच्चे मन से की गई अरदास दरगाह में जरूर सुनी जाती है, हमारे कर्म हमारे साथ, दूसरों के कर्म उनके साथ, इंसान को अपनी जिंदगी जीते हुए अच्छे कर्म करने चाहिए !

इंसान को परमात्मा से सरबत का भला मांगना चाहिए, उसमें हम भी आ जाते हैं खुद ब खुद,

मगर कहावत है लोग अपने दुख से दुखी नहीं दूसरों के सुख से दुखी हैं *मनजीत* 

जो गलत है सरबत का भला मांगने वाले का खुद ही भला हो जाता है, मगर हम स्वार्थी हो गए, स्वार्थ हमारे अंदर इतना समा गया कि हम अपने लिए सुख मांगे ना मांगे मगर दूसरों का नुकसान मांगने लगते हैं,

ज्यादातर लोग रोजाना पूजा स्थलों पर जाकर मांगने का ही काम करते हैं, मगर हमने कभी परमात्मा का शुक्रिया अदा नहीं किया हे परमात्मा तूने हमें इंसानी चोला देकर धरती पर भेजा !

परमात्मा ने हमें दो हाथ दो पैर दो आंखें दी, हाथ दिए, लोगों की मदद करने के लिए पैर दिए, उस मंजिल पर पहुंचने के लिए यहां से मदद की पुकार आ रही है, आंखें दी दुनिया में अच्छा देखने के लिए

हम मतलब परस्त हैं अपना अपना ही सोचते हैं, दूसरों के बारे में हमें सोचना चाहिए, मगर हमारा अपना ही पेट नहीं भरता तो और किसी के लिए क्या मांगेंगे

मैं और मेरा तक सिमट कर रह गई जिंदगी *मनजीत* 

हे परमात्मा मेरी पुकार सुनो मेरे घर आओ, भीगी आंखों से हे परमात्मा अरदास कर रहा हूं मेरे घर आओ,

इंसान सुख में हो या दुख में बस परमात्मा से एक ही मांग रखो मेरे घर आओ !

एक दोस्त की आदत के बारे में बताता हूं, जब भी कभी किसी ने उससे कहा यार यह काम कैसे होगा तो वह कहता था, बाबा करेगा, बाबा ही करेगा, आज आपको बता रहा हूं कि उसकी निष्ठा के आगे बाबा को झुकना पड़ा पैसे की कमी होने के बावजूद भी तीनों लड़कियों और एक लड़के की शादी बहुत ही अच्छे ढंग हुई, जब फिर किसी ने पूछा यह सब कैसे हुआ का वही जवाब था बाबा ने किया, दोस्तों परमात्मा पर भरोसा करने वाले का काम कभी नहीं रुकता, बस हमारा विश्वास अटल होना चाहिए, परमात्मा एक है और हमें भी एक पर भरोसा करना चाहिए इधर-उधर नहीं भागना चाहिए, विश्वास को अटल बनाएं परमात्मा आपका अच्छा दोस्त है परमात्मा की राह चलें सबके लिए खुशियां मांगे, परमात्मा से परमात्मा को मांगो बस जिंदगी में खुशियां भर जाएंगी

मोहन घर आओ, मोहन घर आओ

दुनिया वी जिंदगी जीते सुख और दुख दोनों ही आने जाने है मगर हमारा विश्वास उस पर अटल होना चाहिए वह कभी हमें भूखा नहीं सुलाता, परमात्मा हमारा सबसे अच्छा दोस्त है, दुनिया के लोगों ने जब मदद करनी बंद कर दी दुख को सुनना बंद कर दिया, तभी परमात्मा के आगे नतमस्तक होकर लोग अपने तकलीफों को बयान करते हैं,

दोस्तों आर्टिकल अच्छा लगे तो आशीर्वाद देना शेयर करना दुनिया में उजियारा लाना ही मकसद है सरबत का भला मांगो हमारा खुद भला हो जाएगा ! 

मोहन घर आओ, मोहन घर आओ, करूं जो द ड़िया यह शब्द गुरु ग्रंथ साहिब में दर्ज है

हर जिओ, हर जिओ, यह भी शब्द गुरु ग्रंथ साहिब में दर्ज है, दस्तों आपका अच्छा दोस्त *मनजीत* बोल रहा हूं

*सरदार मंजीत सिंह आध्यात्मिक एवं सामाजिक विचारक*

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