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क्रांतिकारी चंद्रशेखर आजाद के बलिदान दिवस पर शोषण, अन्याय, अत्याचार मुक्त समाज बनाने का लिया संकल्प : रामदुलार यादव

Sahibabad : लोक शिक्षण अभियान ट्रस्ट द्वारा भारत माँ के वीर सपूत, क्रान्तिकारी आन्दोलन के जनक, अदम्य साहसी, विलक्षण प्रतिभा के धनी, प्रत्युत्पन्न मति शहीद चन्द्र शेखर आजाद की शहादत दिवस का आयोजन ज्ञानपीठ केन्द्र 1, स्वरुप पार्क जी0टी0 रोड साहिबाबाद के प्रांगण में किया गया, 


गणमान्य विद्वानों, क्रान्तिकारी साथियों, नवजवानों ने उनके चित्र पर पुष्प अर्पित कर स्मरण किया, तथा उनके त्याग वलिदान की प्रशंसा की यह कार्यक्रम “शोषण, अन्याय मुक्त दिवस” के रूप में मनाया गया, कार्यक्रम की अध्यक्षता पूर्व प्राचार्य जवाहर नवोदय विद्यालय जय नारायण शर्मा ने किया|


        कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए संस्था के संस्थापक/अध्यक्ष राम दुलार यादव ने कहा कि देश को राजनैतिक आजादी दिलाने और शोषण विहीन समाज बनाने के लिए ब्रिटिश सरकार से लड़ते-लड़ते चन्द्र शेखर आजाद ने अपने प्राणों की आहुति दे दी, वह चौदह वर्ष की अवस्था में ही असहयोग आन्दोलन में गिरफ्तार हो गये थे, न्यायाधीश ने पूंछा आप का नाम ? आजाद, पिता का नाम ? स्वतंत्रता, निवास? जेलखाना, वह झल्लाकर 15 कोड़े की सजा सुना दिया| 


कोड़े खाने के समय भी वह महात्मा गाँधी जिंदाबाद के नारे लगाते रहे, जब तक बेहोश नहीं हो गये| इन्होने हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोशियन का गठन किया, और संस्था के प्रमुख रहे, क्रांतिकारियों का उद्देश्य केवल भारत को ब्रिटिश गुलामी से ही मुक्त कराना नहीं था बल्कि शोषण विहीन, समता, संपन्नता, न्याय युक्त भारत बनाना था, चन्द्र शेखर आजाद हर तरह के शोषण के विरोधी रहे, कमजोर, दलित, वंचित, शोषित वर्गों की सेवा इनका मकसद था| आज हम आजादी के 75 वें में प्रवेश कर चुके है, लेकिन हम क्रांतिकारियों, शहीदों व स्वतंत्रता सेनानियों के सपने का भारत नहीं बना पाये, यहाँ जातिवाद, धार्मिक पाखण्ड, अशिक्षा, गरीबी, भूख, पीड़ा, बेबसी, विषमता और नफ़रत, असहिष्णुता का वातावरण है, अन्तर्राष्ट्रीय झूठे अपने देश की जनता को ही भ्रम, भय दिखा गुमराह कर रहे है, लोकतंत्र और संवैधानिक संस्थाओं को कमजोर करने की साजिश हो रही है, 


गरीब, गरीब होता जा रहा है अमीर की आमदनी वैश्विक महामारी कोरोना में भी कई गुना बढ़ गयी है, इसी काल में दिहाड़ी मजदूरों, व्यापारियों, छात्रो, नवजवानों, मजदूर किसानों की आत्महत्या दर में अभूतपूर्व बढ़ोत्तरी दर्ज होना देश के लोकतंत्र के लिए शुभ संकेत नहीं है, आर्थिक तंगी ने ही लोगों को प्राण गवाने के लिए मजबूर किया है, आज हमारे देश के सर्वोच्च पद पर आसीन गणमान्य झूठ पर झूठ बोले जा रहे है, अमेरिका के विचारक टामस मान ने कहा कि “झूठ फ़ैलाने वाले और लोगों की भावनाओं को अपने हित में इस्तेमाल करने वाले भी लोकतंत्र के दुश्मन है”, लोकतंत्र की शुरुवात एक महान सत्य से होती है, लेकिन आज निजी स्वार्थ के कारण लोकतंत्र के साथ खिलवाड़ किया जाना शहीदों, क्रांतिकारियों, स्वतंत्रता सेनानियों के विचारों को दफ़न करना घोर अनैतिक है, लोकतंत्र मानव के जीवन को बेहतर बनाने की व्यवस्था है, चन्द्र शेखर आजाद जैसे लोग भी यही चाहते थे, लेकिन आज उनके सपनों का भारत हम बनाने में अयोग्य और असफल सावित हो रहे है| सभा में महान क्रान्तिकारी, बेजोड़ पत्रकार, साहित्यकार श्रद्धेय विजय सिंह पथिक को भी श्रद्धांजलि दे उन्हें स्मरण किया गया तथा उनके बताये मार्ग पर चलने का संकल्प लिया गया, कार्यक्रम को बाबू सिंह आर्य, अंशु ठाकुर, सी0पी0 सिंह, एस0पी0 छिब्बर ने भी सम्बोधित किया, कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे जय नारायण शर्मा ने सभा का समापन किया|   

        चित्र पर पुष्प अर्पित कर स्मरण करने वाले प्रमुख रहे राम दुलार यादव, सी0पी0 सिंह, डा0 देवकर्ण चौहान, एस0एन0 जायसवाल, जय नारायण शर्मा, सम्राट सिंह यादव, एस0पी0 छिब्बर, अंशु ठाकुर, अवधेश यादव, मुनीव राम यादव, गुड्डू यादव, हरिशंकर यादव, सुरेश कुमार भारद्वाज, फौजुद्दीन, बाबू सिंह आर्य, सुरेन्द्र कुमार, तारकेश्वर शर्मा, अमर बहादुर, राकेश गोस्वामी, हरिंद्र राय, लालमणि, मकसूद अली, देव नाथ भारती, तनवीर चौधरी, कृष्णानन्द यादव, सहदेव गिरी महराज, डी0के0सिंह, रवि, सुभाष यादव, हरिकृष्ण, विजय यादव आदि | 

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