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साहिबाबाद विधना सभा सीट पर ब्राह्मण ही प्रत्याशी क्यों? जातिवाद को बढ़ावा दे रही हैं सभी राजनीतिक दल?

साहिबाबाद:  राजनीतिक विश्लेषण ताहिरअली : जब राजनीतिक दलों द्वारा सरकार बना कर अक्सर समाज से जातिवाद समाप्त करने की दुहाई दी जाती है लेकिन अधिकतर राजनीतिक दल जातिवाद से अछूते नहीं है देखने में आया है कि जब वही राजनीतिक दल चुनाव में जनता के बीच जाता है तो वह टिकटों को बांटने के दौरान जातिवाद को सबसे अधिक बढ़ावा दे रहे हैं ऐसा साहिबाबाद विधानसभा सीट पर सबसे अधिक दिखाई दे रहा है पहली बार साहिबाबाद विधानसभा सीट बनी तब से ही यहां ब्राह्मण प्रत्याशी को ही फोकस किया जा रहा है अब यह चर्चा लोगों में जोर पकड़ रही है की आखिर हर बार साहिबाबाद से अधिकतर राजनीतिक दल ब्राह्मण प्रत्याशी पर पर ही क्यों जोर दे रहे हैं जबकि यहां पर निर्णायक मतदाता पूर्वांचल के माने जाते हैं इस समाज की राजनीतिक दलों द्वारा उपेक्षा की जा रही है अब सामाजिक संगठनों से भी यह मांग उठने लगी है की पूर्वांचल को भी प्राथमिकता दी जानी चाहिए आखिर हर बार ब्राह्मण क्यों सन 2012 के विधानसभा चुनाव में पहली बार साहिबाबाद सीट बनी इससे पूर्व यह सीट खेकड़ा विधानसभा लोनी का हिस्सा माना जाती थी यहां से बसपा के टिकट पर अमरपाल शर्मा ब्राह्मण जाति के विजई हुए जबकि 2017 के चुनाव में भी राजनीतिक दलों ने यहां पर ब्राह्मण प्रत्याशी पर ही फोकस किया 2017 के चुनाव में ब्राह्मण जाति के गाजियाबाद शहरी क्षेत्र के सुनील शर्मा भाजपा के टिकट पर यहां से विधायक बने इसके अलावा सपा कांग्रेसी गठबंधन से यहां से पूर्व विधायक अमरपाल शर्मा चुनाव लड़े थे लेकिन उन्हें हार का मुंह देखना पड़ा पहली बार यहां पर ब्राह्मण प्रत्याशी के जीतने के बाद ही अब अधिकतर दलों का फोकस ब्राह्मण मतदाताओं पर ही हो गया है माना यह जा रहा है कि साहिबाबाद क्षेत्र में ब्राह्मण मतदाता निर्णायक है इसी कारण जहां भाजपा से विधायक सुनील शर्मा भाजपा के दावेदार हैं 


इसके अलावा पूर्व महानगर अध्यक्ष अजय शर्मा कांग्रेश से पूर्व विधायक केके शर्मा सपा से अमरपाल शर्मा दावेदार बताए जा रहे हैं अन्य दावेदारों में कांग्रेसमें ब्राह्मण जाति के सबसे अधिक दावेदार हैं इनमें कांग्रेश से उमेश शर्मा भूषण शर्मा और त्यागी ब्राह्मण मांगेराम त्यागी का नाम भी चल रहा है इसके साथ ही भाजपा से पूर्व डीआईजी सच्चिदानंद राय भी दावेदार बताए जा रहे हैं राजनीतिक दल यही मानकर चल रहे हैं कि इस सीट पर ब्राह्मण प्रत्याशी ही टक्कर दे सकता है इसी कारण से अन्य जातियों की उपेक्षा हालांकि अन्य जातियों के दावेदार भी अलग-अलग पार्टियों से सामने आ रहे हैं जिनमें सपा से जिला महासचिव वीरेंद्र यादव आप पार्टी से छवि यादव और कांग्रेश से से भी कई दावेदार सामने नजर आ रहे हैं लेकिन चर्चा सबसे अधिक राजनीतिक दलों में ब्राह्मणों को लेकर ही हो रही है साहिबाबाद विधानसभा क्षेत्र खोड़ा से लेकर नंद ग्राम तक फैला हुआ क्षेत्र है यह देश की सबसे बड़ी विधानसभा है और इसकी सीमाएं नोएडा और दिल्ली से सटी है यहां अधिकतर नौकरी पेशा लोग रहते हैं जिनका अधिकतर जुड़ाव नोएडा दिल्ली से ही रहता है इनमें पूर्वांचल और बिहार के मतदाताओं की संख्या 500000 के करीब बताई जाती है लेकिन हर बार पूर्वांचल समाज के लोगों की उपेक्षा राजनीतिक दलों द्वारा की जा रही है जबकि हर बार सामाजिक संगठनों द्वारा राजनीतिक दलों से मांग की जाती है की इस बार पूर्वांचल समाज की अनदेखी नहीं की जानी चाहिए और लोगों को टिकट दिया जाए जिससे कि पूर्वांचल समाज का विधायक बनने से पूर्वांचल समाज का गौरव बढ़ लेकिन हर बार पूर्वांचल समाज के मायूसी ही हाथ लगती है इस बार भी सामाजिक संगठन पूर्वांचल समाज के व्यक्ति को टिकट देने की वकालत कर चुके हैं यह मांग साहिबाबाद से लेकर खोड़ा तक उठ चुकी है उसके बाद भी अभी तक ब्राह्मण प्रत्याशियों काही बोलबाला नजर आ रहा है पूर्वांचल समाज की उपेक्षा किए जाने का एक कारण यह भी माना जा रहा है की समाज के लोग अलग-अलग संगठन और पार्टियों का झंडा उठाकर चल रहे हैं is का फायदा राजनैतिक दलों द्वारा उठाया जा रहा है और समाज की उपेक्षा हो रही है अभी तक भी पूर्वांचल समाज पूरी तरह से एक पार्टी के प्रति एकजुट है और ना ही राजनीतिक मजबूती समाज को देने के लिए पूर्वांचल समाज की ओर से संयुक्त प्लेटफार्म बनाया गया है यदि पूर्वांचल समाज एक प्लेटफार्म बनाकर एक राजनीतिक दल के प्रत्याशी को समर्थन करें तो फिर राजनीतिक दलों द्वारा पूर्वांचल प्रत्याशी उतारने से इनकार नहीं किया जा सकता है तभी पूर्वांचल समाज का विधायक साहिबाबाद का विधायक पूर्वांचल समाज की राजनीतिक ताकत को मजबूत कर सकता है

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