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दोस्तों क्या हम जिंदा हैं

गाजियाबाद : शायद हां,शा यद नहीं भी,

जिंदा है तो हमें क्यों नजर नहीं आती,

किसी की लाचारी बेबसी,


किसी की भूख गरीबी,

क्यों नजर नहीं आती उनकी तकलीफें परेशानी,

दूसरों का दर्द दूसरों की पीड़ा की आवाजे हमें सुनाई क्यों नहीं देती,


दुनिया बहुत बड़ी है

मगर हमें अपने आसपास देखना होगा,

एक सुंदर समाज बनाने के लिए

जो हम देख कर भी देखना नहीं चाहते,

हम सिर्फ जिंदगी जी रहे हैं स्वार्थ की,

हमारा स्वार्थ हमारे आसपास की दुनिया को नहीं देख पा रहा,

हम एक सीमित दायरे में जीते हैं

हम पूजा स्थल पर नाक रगड़ कर सोचते हैं,

वाहेगुरु खुश हो जाएंगे

मगर ऐसा नहीं है,

हमें खुशी मिलती है गरीब की सेवा से, मदद से जो हम नहीं करते

गरीब को दुत्कार कर खुशी पाना चाहते हैं हम,

जो नहीं मिलती

खुशियां छुपी हैं गरीब के चेहरे पर मुस्कान लाने पर,

 भूखे की भूख के पीछे खुशियां हैं

 ले लो आगे बढ़कर

अपना दायरा बढ़ाओ,

मददगार बनो, मददगार बनो*चारों तरफ अपने ऐसा माहौल बनाएं मायूसी ना देख पाए* *सरदार मंजीत सिंह* 


बहुत से लोगों का सहारा छिन गया पिछले साल,

आओ उनके सिर हाथ रख कह दे हम हैं


जिंदगी की खुशियां छीन गई कोरोना काल में,

आओ मिलकर उन घरों में चल दिवाली मनाएं,


बहुत इंतजार कर कर आंसू भी सूख गए उनके,

अब उन्हें हंसना तो दूर रोना भी नहीं आता


आज कदम उठा किसी की मदद के लिए तो दोस्त,

हालात कैसे भी आएं कल तू अकेला नहीं होगा कभी


या खुदा इतनी शक्ति देना मुझे किसी को भूखा ना देख पाऊं,

 *चारों तरफ अपने ऐसा माहौल बनाए मायूसी न देख पाएं* 



वा* आपकी जिंदगी में खुशियां लाने के प्रयास में जुटा है

आओ आगे बढ़ो आगे बढ़ोचारों तरफ अपने ऐसा माहौल बनाए मायूसी न देख पाएं* 


 *सरदार मनजीत सिंह* 

 *संयोजक सिख ऐड सेवा*

 *सिख ऐड से


वा* आपकी जिंदगी में खुशियां लाने के प्रयास में जुटा है

आओ आगे बढ़ो आगे बढ़ो


 

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