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तारीख बदल जाती है हर रोज, महीने बदलते जा रहे, इंतजार इंतजार और कितना, कब होंगे काले कृषि कानून वापिस, कब घर जाएंगे किसान *मनजीत*

 सुप्रीम कोर्ट ने कहा यू सड़कों को घेर कर नहीं बेठे सकते किसान जल्द करे निस्तारण सरकार

Ghaziabad : कितना इंतजार और कब कोई आएगा बात करने, कब होंगे काले कृषि कानून वापस कब, किसान घर जाएंगे, तारीख बदल जाती है हर रोज, महीने बदलते जा रहे, इंतजार इंतजार और कितना, 

किसान आंदोलन को चलते 9 माह पूरे हो गए,  

आज आमजन के विचारों में यह सवाल बार-बार होता है, आखिर सरकार क्यों नहीं ले रही कानून वापिस,

सवाल उठता है ऐसा क्या है इन कृषि कानूनों में जो ना तो सरकार बात कर रही और ना वापस ले रही है,


सरकार का कथन कृषि कानूनों से किसानों की आमदनी दोगुना हो जाएगी,

मगर किसान यह कहता है कि हमें दो गुना आय नहीं चाहिए

पहले जैसा ही रहने दो,

सरकार अगर किसानों का हित चाहती है तो किसानों की बात मान लेनी चाहिए,

मगर ऐसा क्या है इन कानूनों में जो सरकार जिद पर अड़ी है, अगर सरकार किसानों के हित में है तो किसान चाहते हैं कानून वापिस लो और अगर सरकार कानून वापस नहीं ले रही तो शायद सरकार पूंजीपतियों का ख्याल रख रही है, इन कानूनों से शायद पूंजीपतियों को लाभ होना तय है,

इतिहास में पहली बार देख रहे हैं सरकार किसानों की आमदनी दुगनी करना चाहती हैं और किसान नहीं चाह रहे किसानों का कथन हमें पहले जैसा रहने दो,

क्या यह जिद है और अगर जिद है तो कब खत्म होगी, ना सरकार पीछे हट रही और ना किसान, 

किसानों का कथन है कि कानून वापसी, घर वापसी,

किसान आंदोलन को देश ही नहीं पूरी दुनिया देख रही,

देश आजादी के बाद आंदोलन तो बहुत देखे मगर ऐसा भी नहीं देखा जिसमें सरकार किसानों की आमदनी दोगुना कर रही हो, और किसान मना कर रहे हैं,

सरकार अगर नहीं सुन रही तो सुप्रीम कोर्ट को सुनना चाहिए,

मगर किसान आंदोलन की अनदेखी नहीं होनी चाहिए,

किसान ही इस देश का अन्नदाता है, सरकार कह रही है किसानों की आमदनी दोगुना हो जाएगी, मगर दूसरी तरफ तस्वीर यह नजर आती है कि रोजाना किसान कर्ज में डूबा हुआ आत्महत्या कर रहा है,

सरकार को किसानों की मांग को पूरा करना चाहिए, सरकार विचार करें,

हजारों लाखों की संख्या में किसान दिल्ली सीमाओं पर बैठे हैं, बहुत से मौसम गुजर गए सर्दी गर्मी बरसात रही, तकलीफों का दौर गुजरा, सरकार ने बिजली पानी बंद कर दिया मगर सब सहन कर किसान पीछे नहीं हटा और हटने को तैयार नहीं,

घर से बेघर होकर सड़कों पर पिछले 9 माह से किसान अपनी आजादी को बचाने में जुटा है, किसान अपनी जमीन बचाने के लिए जुटा है, किसान अपनी खेती को बचाने के लिए जुटा है, और देश की जनता की रोटी को बचाने के लिए जुटा है, 

500 से ज्यादा किसान शहीद हो गए आंदोलन के चलते, कितनी शहादत के बाद कानून वापस होंगे यही सवाल है किसानों का,

इस लेख के माध्यम से सरकार से मांग करते हैं कि किसान हमारे देश का अन्नदाता है, इसलिए किसानों की मांग तीन काले कृषि कानून वापस ले, सरकार एमएसपी पर कानून बने गन्ने का भुगतान जल्द किया जाए, इन्हीं मांगों के साथ किसान आंदोलन को नौ महीने हो गए और कितना इंतजार,

सरकार जल्द विचार करें, सरकार जल्द विचार करें ताकि किसान अपने घर वापस जा सके


 *सरदार मंजीत सिंह* 

 *आध्यात्मिक एवं सामाजिक* 

*विचारक*

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