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आज भारत में सबसे बड़ी समस्या भूख की जिसे शांत किए बिना हम जिंदा रह नहीं सकते लाखों लाखों लोग सड़कों पर आ गए!

आज की तस्वीर जो हम देख रहे हैं वो है पूरी दुनिया में फैली करोना वायरस बीमारी की वजह से दुनिया के साथ-साथ हमारा देश भी लॉक डाउन की तस्वीर  जो हम टेलीविजन या प्रिंट मीडिया के माध्यम से हम देख रहे हैं जैसे ही लॉक डाउन हुआ सभी को दिक्कतों का सामना करना पड़ा जो आज तक करना पड़ रहा है बहुत सी तस्वीरें हमारे सामने आई और उनमें से  सबसे बड़ी समस्या भूख की जिसे शांत किए बिना ।


हम जिंदा रह नहीं सकते लाखों लाखों लोग सड़कों पर आ गए या यह कहें भूख जब सताने लगी तो लाखों की गिनती में लोग अपने गांव घरों की तरफ चल दिए जबकि सरकार और प्रशासन ने कहा कि जो जहां है वही रहे भूख से हम किसी को मरने नहीं देंगे और इस काम को प्रशासन ने अंजाम भी देना शुरू किया मगर उसके बाद भी हजारों हजारों नहीं लाखों लाखों लोग इस प्रदेश मैं जहां प्रशासन नहीं पहुंच पा रहा प्रदेश के आखिरी इंसान की भूख मिटाने को जबकि सेवा के क्षेत्र में बहुत सारी समाज सेवी संस्था गुरुद्वारा साहिब भी जुटे हैं मदद पहुंचाने के लिए मगर देखा गया है कि हम सिर्फ सड़कों के किनारे रहने वाले शहर से जुड़े क्षेत्र में ही मदद कर पा रहे हैं मगर फिर भी सेवा के क्षेत्र में जुड़े लोगों को सलाम करता हूं दोस्तों सोच कर देखो अगर आज दिन में हमने भूख मिटा ली अपनी तो रात की चिंता रात बीत गई तो कल की चिंता इसी चिंता के चलते लाखों लोग सड़क पर आ गए और पैदल ही चल दिए अपने प्रदेश शहर गांव की तरफ हजारों नहीं लाखों लोग बिहार का दिल्ली में जो फसा था उत्तर प्रदेश का दिल्ली राजस्थान हरियाणा पंजाब महाराष्ट्र गुजरात या अन्य किसी प्रदेश में उस पर क्या बीत रही होगी परदेस में सोच कर देखो हम सोच भी नहीं पा रहे हैं और उन पर बीत रही है सरकार प्रयास तो कर रही है दूसरे प्रदेशों से अपने नागरिकों को लाने के लिए प्रदेशवासियों को लाने के लिए मगर उनकी गिनती हजारों में नहीं लाखों में है लॉक डाउन के दौरान सिर्फ भूख नहीं दूसरी समस्याओं का जिक्र करता हूं आमदनी लॉक डाउन के दौरान बिल्कुल बंद खर्च रुक नहीं पा रहा रोजाना की जरूरत के सामान के लिए पैसा चाहिए पैसा है नहीं कहां से आएगा ताकि जरूरत का सामान खरीदा जा सके अब देश के आबादी के बहुत बड़े भाग की यह समस्या सामने आने लगी घर बैठ खर्च भी बढ़ गया पैसा है नहीं मांग सकते नहीं क्योंकि सामने वाले के पास भी नहीं है लॉक डाउन खुलने के बाद की तस्वीर और भी भयानक हो सकती है ऐसा मैं सोचता हूं ब्लॉक डाउन खुलते ही जो उधार खाया उसे चुकाना पड़ेगा एकदम खर्च का भोज चारों तरफ से घिरा हुआ मिलेगा जेब खाली होगी और बहुत सारे लोगों का कारोबार ऐसा नहीं जो आम लोगों की जिंदगी की जरूरत का समान हो की उन्हें खरीदना ही पड़ेगा उन व्यापारियों को अपना भविष्य अंधकार में दिखाई दे रहा है बहुत से काम धंधा बदलने की सोच रहे हैं तो पूंजी नहीं कैसे बदला जाए इसलिए लिख रहा हूं शायद लॉक डाउन खुलने के बाद की तस्वीर कहीं ज्यादा भयानक ना हो  लॉक डाउन में वह अपने सीमित दायरा सीमित जरूरतों में जी रहा है मगर खुलने के बाद जरूरत  बढ़े गी उन बढ़ती जरूरतों को पूरा करने के लिए पग पग पर पैसा चाहिए यही सोच परेशान हो रहे हैं लोग इसमें उन लोगों को राहत है जो पेंशन पाने वाले लोग हैं या नौकरी करने वालों को जायदा फर्क ना पड़े मगर छोटा कारोबार करने वाला इंसान मजदूर चाय वाला ढाबा टायर का काम करने वाला या अन्य कोई भी छोटा कारोबार कर जो अपने परिवार को पाल रहा था उसे परेशानी हो सकती है लॉक डाउन खुलने के बाद बहुत से लोग अपना कारोबार बदलना चाहेंगे अचानक आपने देखा भी होगा बहुत से लोगों ने सब्जी बेचना फल फ्रूट बेचना व अन्य कई छोटे कारोबार शुरू भी कर दिए मगर कुछ लोग पूंजी ना होने की वजह से शायद कुछ दिनों बाद बदलने का प्रयास करें सरकार को लॉक डाउन खुलने के बाद एक कंट्रोल रूम हर शहर में बनाया जाए ताकि छोटे व्यापारी या मजदूर तबका अपनी परेशानी को दर्ज करा सके सरकार और प्रशासन को बड़े स्तर पर मदद देने का काम करना होगा ताकि लॉक डाउन के बाद भयानक स्थिति पैदा ना हो धन्यवाद सरदार मंजीत सिंह सामाजिक एवं आध्यात्मिक विचारक


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