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आखिर दिनेश सिंघल को क्यों नहीं मिली प्रथम पंक्ति में जगह

उत्तर प्रदेश की सत्ताधारी पार्टी वैसे तो संस्कारों व विचारों और प्रोटोकॉल की पार्टी अपने आपको बताती है लेकिन जब कहीं बड़े कार्यक्रम आयोजन की बात होती है तो कहां चला जाता है इस पार्टी का प्रोटोकॉल यह बात समझ से बाहर है लेकिन जब होल्डिंग व बैनरों पर फोटो लगाने की बात हो तो नेता आपस में प्रोटोकॉल का हवाला देते दिखते हैं ऐसा ही एक मामला आरडीसी में उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य के कार्यक्रम के दौरान देखा गया जहां प्रेस कॉन्फ्रेंस करते हुए प्रोटोकॉल की धज्जियां उड़ती हुई साफ नजर आई इस दौरान जिला


गाजियाबाद के अध्यक्ष दिनेश सिंघल को प्रेस वार्ता में दूसरे बैच में धकेलने का काम आखिर किसने किया कौन नहीं चाहता था कि दिनेश सिंघल फ्रंट्रो में बैठकर पत्रकारों को संबोधित करें क्या महानगर अध्यक्ष और जिलाध्यक्ष में भी चल रहा है आपसी मनमुटाव यह तो समय ही बताएगा लेकिन जिस तरह से जिलाध्यक्ष को छोड़कर अन्य विधायकों को मौका दिया गया इस बात को देखकर साफ है के जिलाध्यक्ष व महानगर अध्यक्ष में नहीं बन पा रही है


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