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26 दिसंबर को नवाब वजीर खान की कचहरी में दोनों साहेबजादे की पेशी हुई: सरदार मनजीत सिंह

दशम पिता श्री गुरु गोविंद सिंह जी 21 दिसंबर 1704 आनंदपुर साहिब किला जहां 22 हिंदू पहाड़ी राजाओं में मुगल सेना के साथ मिलकर किले का घेराव किया हुआ था बहुत समय बीत गया था पहाड़ी राजाओं ने और मुगल सेना ने गाय की कसम और मुगलों ने कुरान और इस्लाम की कसम खाकर यह कहा था गुरु गोविंद सिंह जी आप किला छोड़ दीजिए।


हम वार नहीं करेंगे मगर जैसे ही गुरु गोविंद सिंह की अपने परिवार के साथ किले को छोड़ने लगे तो मुगल सेना ने वार कर दिया गुरु गोविंद सिंह जी और बड़े साहेबजादे निहंग कोटला रोपड़ में नयन खान के यहां उन्होंने रात गुजारी और माता गुजर कौर और छोटे साहबजादे ने कुमें  मास्की के यहां रात गुजारी 22 दिसंबर को सरसा नदी पार करने पर मुगल सेना ने घेरा डाल दिया 10 लाख सेना के सामने सिर्फ 40 सिंह मुकाबला करने के लिए उतरे चमकौर की लड़ाई में दशम पिता श्री गुरु गोविंद सिंह जी के बड़े साहिब जादे अजीत सिंह जुझार सिंह उस युद्ध में शहीद हो गए इनके साथ गुरु गोविंद सिंह जी द्वारा साजे गए पांच प्यारों में भाई मोकम सिंह भाई हिम्मत सिंह भाई साहिब सिंह भी शहीद हो गए उस चमकौर की लड़ाई में गुरु गोविंद सिंह जी जब वहां से चले तो अपनी पोशाक भाई संगत सिंह को दे गए भाई संगत सिंह ने गुरु का आशीर्वाद प्राप्त कर उस युद्ध में मुगलों के छक्के छुड़ा दिए जब दशम पिता वहां से निकले तो उनके साथ पांच प्यारों में से भाई दया सिंह भाई धर्म सिंह वह मान सिंह के साथ थे युद्ध के मैदान में साहिब जादे  की लाशें देख भाई दया सिंह ने अपनी कमर से कमर कसा खोल उन लाशों पर डालने लगा दशम पिता श्री गुरु गोविंद सिंह जी ने भाई दया सिंह को रोका अगर तेरे पास इतने कमर कसे हैं हर सिख लाश पर डाल सके तो मेरे पुत्रों पर भी डाल दे यह सिख मेरे पुत्र हैं दूसरी तरफ माता गुजर कौर अपने रसोइए ब्राह्मण गंगू के साथ छोटे साहेबजादे के साथ ब्राह्मण दंगों के गांव सहेरी पहुंचे गंगू ब्राह्मण को लालच आ गई और उसने माता गुजर कौर के अशरफिया वाले पोटली को चुरा लिया सुबह माता गुजर कौर ने कहां कि मेरी पोटली नहीं मिल रही है तो गंगू जोर-जोर से कहने लगा मैं कोई चोर हूं मैं कोई चोर हूं और इनाम के लालच में ब्राह्मण गंगू ने माता गुजर कौर और छोटे साहबजादे को पुलिस ने पकड़ा दिया पुलिस ने माता गुजर कौर और छोटे साहबजादे को ठंडे बुर्ज में कैद रखा 25 और 26 दिसंबर को नवाब वजीर खान की कचहरी में दोनों साहेबजादे की पेशी हुई जो सैनिक उनको लेकर कचहरी जा रहा था वह समझा रहा था कि नवाब वजीर खान को झुक कर सलाम करना मगर दोनों साहिबज़ादे ने छोटे फाटक से एक पैर पहले अंदर रखा और फिर दूसरा नवाब वजीर खान ने कहा कि तुम सलाम नहीं करी तुमने साहेबजादे बोले यह शीश सिर्फ परमात्मा के आगे झुकता है नवाब वजीर खान ने दोनों साहिब जादे कोई इस्लाम कबूल करने के लिए कहा दोनों ने मना कर दिया मलेरकोटला के नवाब शेर मोहम्मद थे जब दोनों जोरावर सिंह और फतेह सिंह को सजा देने के लिए बोला तो मलेरकोटला के नवाब शेर मोहम्मद ने कहा मानता हूं गोविंद मेरा दुश्मन है उसने मेरे भाई को मारा है मगर इस्लाम और कुरान बच्चों पर वार करने की इजाजत नहीं देती मैं गोविंद से बदला लूंगा युद्ध के मैदान में जिस वक्त मलेरकोटला के नवाब ने यह शब्द कहे किन बच्चों को बरी कर दिया जाए तो एक बाजार लगाया गया जहां खिलौने और मिठाई की दुकानें सजाई गई और कोने है मैं एक हथियार की दुकान भी दोनों भाई कुछ हथियार की दुकान पर पहुंचे और आपस में बातचीत करने लगे सच्चिदानंद ने कहा कि सांप के बच्चे सपोले ही होते हैं इन्हें कुचल दिया जाए तब उन्हें जिंदा नीवों में चुनवा ने का फैसला किया गया जोरावर सिंह और फतेह सिंह को जिंदा नहीं हो में सरहिंद के किले में चिनवा दिया गया 28 दिसंबर दीवान टोडर मल ने नवाब वजीर खान से कहां इन बच्चों को और माता गुजर कौर जो ठंडे बुर्ज में थी जब पता लगा साहेबजादे शहीद हो गए तो उन्होंने भी अपने प्राण त्याग दिए दीवान टोडर मल ने नवाब वजीर खान से कहा कि इनके संस्कार करने के लिए जगह चाहिए नवाब वजीर खान ने कहा जगह आपको खरीदनी होगी जितनी जगह चाहिए उतनी जगह पर सोने की अशरफिया बिछा दीजिए जब दीवान टोडर मल ने अशरफिया बिछा दी नवाब वजीर खान लालच में आ गया जितनी ऊंची जगह चाहिए इतने ऊंचे तक अशरफिया बिछाओ 78000 सोने की मोहरे op bhi nhiबिछाकर 4 गज जगह खरीदी गई सोने के भाव के मुताबिक 2 अरब 50 करोड़ उसकी क़ीमत बनती है दुनिया में इतनी महंगी जगह आज तक नहीं बिकी ठंडे बुर्ज की कैद में मोती लाल मेहरा ने एक गिलास दूध पिलाने के एवज में अपनी लड़की के जेवरात को बेचकर दूध पिलाने का काम किया था ऐसे गुरु के सिखों को इस हादसे को मैं बार-बार नमन करता हूं यह 21 दिसंबर से लेकर 28 दिसंबर तक के इतिहास को कॉलेज की सम्मानित टीचरों के बीच बताने का काम किया सरदार मनजीत सिंह ने इस पूरे घटनाक्रम को बताने में एक घंटा मनजीत सिंह ने संबोधित किया


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