हर सफर में
खुद राह
अम्मा
बिन कहे
ज़िन्दगी
रंगों से भरती है
बरबस इशारों से
सब जान लेती है
हर दर्द
पीड़ा
बाधाओं को
बस अपना ही माँ
मान लेती है
लड़ जाती
हालातों से
रो देती
जज्बातों में
फूल सी, फौलाद सी
कोमल हिय
बुलंद आवाज़ सी
माँ हर रँग जीवन की
रँग,बेरंग हो जाया करती है
सब खोकर भी
जाने कैसे माँ
इतना प्रेम लुटाया करती है।।
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