गाजियाबाद : रेल एन्क्लेव, प्रताप विहार, गाजियाबाद निवासी सुरेन्द्र शर्मा गजलकार, आवाज की दुनिया के नगीनों में से हैं । वह उत्तर रेलवे के वरिष्ठ अनुभाग विद्युत अभियंता के पद से सेवानिवृत्त हैं और अब काव्य मंचों पर सक्रिय हैं। दूरदर्शन पर 'गुमशुदा व्यक्तियों की जानकारी' व 'राजधानी से' कार्यक्रमों के वह पाश्र्र्व वाचन के जाने- पहचाने चेहरे हैं। रेडियो और दूरदर्शन पर वह चार दशक से भी अधिक समय से सक्रिय हैं। दूरदर्शन निर्मित वृत्त चित्रों,प्रोमोज तथा बाजार में उपलब्ध आध्यात्मिक ऑडियो, वीडियो कैसेट्स तथा सीडीज के वाचन में भी वह ख्याति प्राप्त है।
लम्बे समय से वह अनेकानेक बडे मंचीय सम्मेलनों और मुशायरों में शिरकत कर रहे हैं। दैनिक ट्रिब्यून, दैनिक अमर उजाला की पत्रिका 'रूपायन' तथा उसके काॅलम 'गाजियाबाद बोल', 'तीर- ए -नजर', 'डायरी से शायरी में' व उत्तर रेलवे की पत्रिका 'सरस्वती संगम' में उनकी रचनाएं प्रकाशित होती रहती हैं। उनके गजल संग्रह 'सोच में आसमान' की नामचीन कवि और शायरों ने जमकर तारीफ की है। देश के ख्यातिनामा कवि प्रवीण शुक्ल ने कहा है कि उनकी पुस्तक आम आदमी की जिन्दगी का आईना है। जो जीवन के विभिन्न एहसासों की सहज प्रस्तुति करती हैं।उनकी शायरी में आम आदमी का दर्द भी है , टूटते रिश्तों की कसक भी है, अपना शहर और आसपास का परिवेश भी है और इस सबके साथ ज़िन्दगी के विभिन्न एहसास एक नई ताजगी और कहन के साथ साहित्य के द्वार पर दस्तक दे रहे हैं। डाॅ. प्रणव भारती ने कहा है कि उनकी पुस्तक संवेदनाओं का खूबसूरत कोलाज है। 'आओ, जीने की वजह ढूंढ लाते हैं,आज मिलकर सब मुस्कुराते हैं' / 'आइने को साफ मत कर धूल चेहरे पर जमी है' / 'गम से दूर ठिकाने रखिए,लब पर मधुर तराने रखिए'..। उन्होने कहा कि तमाम उम्र रेल की पटरियों के बीच की दूरी देखते हुए, महसूस करते हुए सुरेन्द्र शर्मा की शायरी ऐसे चित्र खींचती है कि छोटी बहर में कही गई बात प्रभावी होकर मन को कुरेदने लगती है।
वरिष्ठ साहित्यकार डाॅ.रमा सिंह कहती है कि सुरेन्द्र शर्मा की गजलें स्वप्निल दुनिया की हकीकत बयां करती हैं- 'लब से दूर ठिकाने रखिए ,लब पर मधुर तराने रखिए' / 'आईने को साफ मत कर,धूल चेहरे पर जमी है'। वह कहती हैं गजलकार सुरेन्द्र शर्मा को उनके गजल संग्रह 'सोच में आसमान' उनके हौसलों की उड़ान है जो पाठकों/श्रोताओ को अपने साथ बांधकर बहुत दूर तक ले जाती है। डॉ. कृष्ण कुमार नाज कहते हैं भाई सुरेन्द्र शर्मा ऐसे गजलकार हैं जिन्होंने अपने शेरों में भारतीय चिंतन को प्रमुखता दी है। 'सोच मेंआसमान रखिएगा, हौसले में उड़ान रखिएगा' / 'शहर की सडकों ने जब- जब भी तपाया है हमें पूछिए मत गांव कितना याद आया है हमें'/ 'जेब बस में कट गई अब गांव कैसे जाएंगे, यार अच्छा आपने दिल्ली घुमाया है हमें'।उन्होने कहा कि सुरेन्द्र शर्मा की गजलें सामाजिक परिदृश्य के शब्दचित्र हैं। 'संस्कारों की कमी है,बाप-बेटे में ठनी है' / 'जोर पडता है सच बताने में,कौन किसका है इस जमाने में'। डॉ. नाज कहते हैं मां बहुत संवेदनशील और वात्सल्यपूर्ण विषय है। लगभग सभी कवियों ने इस पर अपने- अपने ढंग से अपनी कोमल भावनाएं व्यक्त की हैं। शर्मा जी ने भी बहुत खूबसूरत शेर कहा है- 'मुश्किल में जब जां होती है,लब पर केवल मां होती है'।उन्होंने मां सरस्वती से प्रार्थना की है कि वह शर्माजी पर निरन्तर अपनी कृपा बनाए रखें।
शर्मा जी गजल संग्रह 'सोच में आसमान' में ऐसे ही दिल को छू लेने वाली 140 गजलें हैं।प्रख्यात शायर मासूम गाजियाबादी कहते हैं सुरेन्द्र शर्मा जी की जादूमयी आवाज और शायरी समाज के प्रति उनकी जिम्मेदारियों भरी फिक्र को दर्शाती है,वहीं सो चुके दिमागों को करवटॅ बदलने पर मजबूर करती है। इस पुस्तक के आत्म कथ्य में सुरेन्द्र शर्मा कहते हैं- 'उठ रहा तूफान मेरे दिल के अंदर दोस्तों, जान ही लेकर रहेगा यह बवंडर दोस्तों' और देखें 'कसैली,खट्टी- मीठी हो तो सह भी लूं जमाने की,हैं कुछ बातें जो बरछी की तरह दिल छील जाती हैं' / 'शहर की सडकों ने जब-जब तपाया है हमें,पूछिए मत गांव कितना याद आया है हमें' । और देखें-'जेब बस में कट गई अब गांव कैसे जाएंगे, यार अच्छा आपने दिल्ली घुमाया है हमें'/'शौक सारे अनगिनत सुविधा तजी है,तब कहीं मुश्किल से अपनी छत पड़ी है'/ 'सरलता,सादगी,सच्चाई ही बेहतर, कपट, धोखा- धड़ी मुश्किल ही फलती है'। सुरेन्द्र शर्मा जी की यह पुस्तक जिसे 'शब्दांकुर प्रकाशन, मदनगीर, नई दिल्ली ने प्रकाशित किया है को जब पढना शुरू करेंगे तो मेरा यह दावा है कि किताब की पूरी शायरी पढ़कर ही छोड़ेगे।
उल्लेखनीय है उनकी साहित्यिक सेवा के लिए उन्हें गज केसरी साहित्य सुधाकर सम्मान, कवि काव्य रश्मि सम्मान, हिंदी कल्चरल सेंटर टोकियो- विश्व हिन्दी गौरव सम्मान, शनिधा साहित्य मनीषी सम्मान, अर्थ इंडिया नवसृष्टि सेवा सम्मान, अखिल भारतवर्षिय ब्राह्मण शिरोमणि सम्मान, उत्तर रेलवे महाप्रबंधक पुरस्कार, महाप्रबंधक राजभाषा पुरस्कार व मुख्य विद्युत अभियंता पुरस्कारों से नवाजा जा चुका है।
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