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गठबंधन का नाम ' इंडिया' रखने पर आपत्ति बीके शर्मा हनुमान जी

 गाजियाबाद विश्व ब्रह्मर्षि ब्राह्मण महासभा के संस्थापक अध्यक्ष ब्रह्मर्षि विभूति बीके शर्मा हनुमान ने ‘इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इन्क्लूसिव अलायंस(इंडिया) का उल्लेख करते हुए कहा की 26 विपक्षी दलों की बैठक के बाद अपने संगठन का नाम इंडिया रखने पर विश्व ब्रह्मर्षि ब्राह्मण महासभा इस पर आपत्ति दर्ज कराती है देश के महामहिम राष्ट्रपति जी से अनुरोध करते हैं कि इस संगठन का नाम इंडिया नहीं रखा जाना चाहिए क्योंकि आज यह 26 दलों का संगठन इंडिया के नाम से जाना जाएगा लेकिन जब इस संगठन में फूट पड़ेगी संगठन अलग-अलग होंगे तो कहा जाएगा कि इंडिया के टुकड़े टुकड़े हो गए इंडिया के टुकड़े-टुकड़े शब्दों को शायद कोई हिंदुस्तानी सहन कर पाएगा बेंगलुरु में 26 विपक्षी दलों की बैठक और दिल्ली में भाजपा के नेतृत्व वाले राजग यानी एनडीए के 38 घटक दलों की बैठक से यदि कुछ स्पष्ट है तो यही कि दोनों पक्षों ने लोकसभा चुनाव को लेकर अपनी तैयारियां तेज कर दी हैं। यह समय ही बताएगा कि दोनों पक्षों के साथ जो दल खड़े हुए, वे लोकसभा चुनाव तक जहां हैं, वहीं बने रहेंगे या नहीं, क्योंकि अपने देश में अंतिम समय तक पाला बदलने का खेल चलता रहता है। मैं तो बस इतना ही कहूंगा कि किसी ने खूब लिखा है

 ख़ामोश लब हैं झुकी हैं पलकें दिलों में उल्फत नई-नई है,
अभी तक़ल्लुफ़ है गुफ़्तगू में अभी मोहब्बत नई-नई है।
ख़ामोश लब हैं झुकी हैं पलकें दिलों में उल्फत नई-नई है।।

अभी न आएगी नींद तुमको अभी न हमको सुकूं मिलेगा,
अभी तो धड़केगा दिल ज्यादा अभी ये चाहत नई-नई है।
ख़ामोश लब हैं झुकी हैं पलकें दिलों में उल्फत नई-नई है।।

बहार का आज पहला दिन है चलो चमन में टहल के आएं,
फ़ज़ां में खुशबू नयी नयी है गुलों पे रंगत नई-नई है।
ख़ामोश लब हैं झुकी हैं पलकें दिलों में उल्फत नई-नई है।।

जो खानदानी रईस हैं वो मिज़ाज रखते हैं नर्म अपना,
तुम्हारा लहज़ा बता रहा है तुम्हारी दौलत नई-नई है।
ख़ामोश लब हैं झुकी हैं पलकें दिलों में उल्फत नई-नई है।।

जरा सा कुदरत ने क्या नवाजा कि आके बैठे हैं पहली सफ़ में,
अभी से उड़ने लगे हवा में अभी तो शोहरत नई-नई है।
ख़ामोश लब हैं झुकी हैं पलकें दिलों में उल्फत नई-नई है।।

बमों की बरसात हो रही है पुराने जांबाज़ सो रहे हैं,
गुलाम दुनिया को कर रहा वो जिसकी ताकत नई-नई है।
ख़ामोश लब हैं झुकी हैं पलकें दिलों में उल्फत नई-नई है।।

अभी मैं कैसे कहूं वफा निभायेंगे वो हमेशा,
कि मेरे दिल के जमीं पे उनकी अभी हुकूमत नई नई है।
ख़ामोश लब हैं झुकी हैं पलकें दिलों में उल्फत नई-नई है।

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