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डाॅ0 मुखर्जी महान स्वतंत्रता सेनानी, शिक्षाविद, समाजसेवी तथा राजनीतिक चिंतक: मुख्यमंत्री

मुख्यमंत्री ने डाॅ0 श्यामा प्रसाद मुखर्जी के बलिदान दिवस पर 
डाॅ0 श्यामा प्रसाद मुखर्जी (सिविल) चिकित्सालय परिसर में स्थापित, उनकी प्रतिमा के सम्मुख चित्र पर माल्यार्पण कर पुष्पांजलि अर्पित कीतत्कालीन अनेक सामाजिक गतिविधियों के साथ जुड़ना, प्रखर राष्ट्रवादी विचार का नेतृत्व प्रदान करना और देश की आजादी के आन्दोलन में सक्रिय सहभागिता करना डाॅ0 श्यामा प्रसाद मुखर्जी की पहचान बन गयी प्रधानमंत्री जी ने कश्मीर में धारा 370 को समाप्त कर डाॅ0 श्यामा प्रसाद मुखर्जी के सपने को साकार किया
लखनऊ:  उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी ने डाॅ0 श्यामा प्रसाद मुखर्जी के बलिदान दिवस पर आज यहां डाॅ0 श्यामा प्रसाद मुखर्जी (सिविल) चिकित्सालय परिसर में स्थापित उनकी प्रतिमा के सम्मुख चित्र पर माल्यार्पण कर पुष्पांजलि अर्पित की।
 मुख्यमंत्री जी ने कहा कि डाॅ0 मुखर्जी महान स्वतंत्रता सेनानी, शिक्षाविद, समाजसेवी तथा राजनीतिक चिंतक थे। मात्र 33 वर्ष की आयु में वह कोलकाता विश्वविद्यालय के कुलपति नियुक्त हुए थे। देश की आजादी की लड़ाई में उन्होंने महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वहन किया। देश के विभाजन की त्रासदी को रोकने के लिए और पूरे बंगाल को अंग्रेजों की कुटिलता से बचाने में डाॅ0 श्यामा प्रसाद मुखर्जी जैसे राष्ट्रनायकों का बहुत महत्वपूर्ण योगदान रहा है। 
 मुख्यमंत्री जी ने कहा कि तत्कालीन अनेक सामाजिक गतिविधियों के साथ जुड़ना, प्रखर राष्ट्रवादी विचार का नेतृत्व प्रदान करना और देश की आजादी के आन्दोलन में सक्रिय सहभागिता करना डाॅ0 श्यामा प्रसाद मुखर्जी की पहचान बन गयी थी। यही कारण था जब वर्ष 1947 में देश स्वतंत्र हुआ, तो देश के प्रथम उद्योग और खाद्य मंत्री के रूप में उन्हें भारत की औद्योगिक नीति को आगे बढ़ाने का अवसर प्राप्त हुआ। बाद में जब डाॅ0 मुखर्जी ने अवलोकन किया कि जिन मूल्यों और आदर्शाें को लेकर स्वतंत्रता प्राप्त हुई थी, तत्कालीन सरकार उससे विमुख होकर तुष्टिकरण की पोषक नीतियों को आगे बढ़ाने का कार्य कर रही है, तब उन्होंने सरकार से अलग होकर भारतीय जनसंघ के संस्थापक अध्यक्ष के रूप में कार्य करना प्रारम्भ किया। उन्होंने सरकार की उन तुष्टिकरण नीतियों का खुलकर विरोध किया, जो भारत की एकता और राष्ट्रीय अखण्डता के लिए खतरा पैदा कर सकती थीं। 
 मुख्यमंत्री जी ने कहा कि स्वतंत्रता के पश्चात कश्मीर में लगातार स्थिति बिगड़ती जा रही थी। जम्मू-कश्मीर में परमिट सिस्टम, अलग विधान बनाने और मुख्यमंत्री को अलग मान्यता देने के विरोध में डाॅ0 श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने नारा दिया कि ‘एक देश में दो प्रधान, दो विधान और दो निशान नहीं चलेंगे।’ इसी सम्बन्ध में हुए आन्दोलन के कारण डाॅ0 श्यामा प्रसाद मुखर्जी गिरफ्तारी हुई। कश्मीर और देश की अखण्डता को बचाने के लिए 23 जून, 1953 को उन्होंने अपना बलिदान दे दिया।
 मुख्यमंत्री जी ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने डाॅ0 श्यामा प्रसाद मुखर्जी के सपने को उस समय साकार किया, जब 05 अगस्त, 2019 को कश्मीर में धारा 370 को समाप्त कर दिया। भारत के सभी कानून और व्यवस्थाएं जम्मू-कश्मीर में भी लागू हो रही हैं तथा लोकतांत्रिक प्रक्रिया पूरी मजबूती के साथ बहाल हुई है। 
 इस अवसर पर उप मुख्यमंत्री श्री ब्रजेश पाठक सहित अन्य जनप्रतिनिधिगण तथा शासन-प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।

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