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सिखों ने देश और दुनिया को जता दिया हम शहादत देना जानते हैं तो उस शहादत को प्रणाम कर याद करना भी जानते हैं: मनजीत

सिखों ने देश और दुनिया को जता दिया हम शहादत देना जानते हैं तो उस शहादत को प्रणाम कर याद करना भी जानते हैं: मनजीत

Ghaziabad : पूरा सिख समाज बधाई का पात्र है
 ना तो हम अपने इतिहास को भूले और हमने औरों को भी जगाने का काम बखूबी निभाया *मनजीत* 
आज देश के हर प्रदेश में जिस भी पार्टी की सरकार है, सभी सरकारी स्तर पर दशमेश पिता श्री गुरु गोविंद सिंह जी के साहेबजादो की देश धर्म और संस्कृति के लिए दी गई शहादत के कार्यक्रम कर याद कर रही है !
 उन्हें याद रखना ही उन को सच्ची श्रद्धांजलि देना है ,
केंद्र सरकार द्वारा भी कई विशेष कार्यक्रम रख साहिबजादों को श्रद्धांजलि अर्पित की, मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज चौहान द्वारा विधानसभा में एक कविता के माध्यम से श्रद्धांजलि देना एक सराहनीय कदम रहा व उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी जी ने भी कई विशेष कार्यक्रम सरकारी स्तर पर श्रद्धांजलि देने के लिये किये,

जो कोमे अपने इतिहास को भुला देती हैं, इतिहास भी उनको भुला देता है, फिर उनका इतिहास में जिक्र नहीं होता,
सरकार ने भी सिखों के इतिहास को और अच्छे से मनाने का फैसला गुरु गोविंद सिंह जी के छोटे *साहिबजादो* की शहादत को *वीर बाल दिवस* के रूप में मनाने की घोषणा की
दूसरी तरफ अकाल तख्त साहिब ने हुकमनामा जारी किया कि चारों साहिब जादों की शहादत को *शहीदी समागम* के रूप में मनाए,
सभी सरकारी संस्थाओं का श्री गुरु गोविंद सिंह जी के चारों साहिब जादो को याद करना एवं *श्रद्धांजलि* देना ही मुख्य उद्देश्य था
शहादत का सफर 21 दिसंबर से लेकर 28 दिसंबर तक का इतिहास जिसमें श्री गुरु गोविंद सिंह जी के चारों साहिबजादे शहीद हुए साथ में माता गुजर कौर जी की भी शहादत हुई
मुगलों द्वारा किए अत्याचार का मुकाबला करते युद्ध के मैदान में गुरु गोविंद सिंह जी के बड़े साहिबजादे शहीद हुए
साहिबजादा अजीत सिंह युद्ध के मैदान में छाती पर *393 तीर* खाकर शहीद हुए ,
सिखी इतनी आसानी से नहीं मिलती कुर्बानियों से इतिहास भरा है सिखों का *मनजीत* 
छोटे साहेबजादो द्वारा मुस्लिम धर्म ना कबूलने पर जिंदा नीवो में चिनवाने का आदेश नवाब वजीर खाने दिया,
जिस तरह सिखों ने इन 8 दिनों के शहादत के सफर को जन जन तक पहुंचाने का कार्य किया आज देश ही नहीं दुनिया साहिबजादों की शहादत को प्रणाम कर रही है,

हम अगर कुर्बानी देना जानते हैं तो उस कुर्बानी को याद रख एकजुट होना भी जानते हैं, इन 8 दिनों में आपसी मतभेद को दूर रख सिखी का जो प्रचार हुआ उसे सिख धर्म और देश भर में जागरूकता आई,
सोशल मीडिया के माध्यम से इस इतिहास का जो प्रचार हुआ पिछले तीन-चार सालों में आज उस प्रचार का नतीजा है कि सरकार ने भी राष्ट्रीय स्तर पर मनाने की घोषणा की,
 सिखों से एक बात कहना चाहता हूं बस लंगर तक सीमित ना रहो शिक्षा और स्वास्थ्य को भी अपने लंगर में शामिल करें,
हर जरूरतमंद की मदद के लिए आगे आए दहेज प्रथा में कमी लाएं, सादा जीवन जीने की आदत डालें ,दिखावा बंद करें और आगे बढ़े और आगे बढ़े,
प्रिंट मीडिया का भी तहे दिल से धन्यवाद करता हूं उन्होंने भी इतिहास को जन-जन तक पहुंचाने में मददगार साबित हुए,
प्रिंट मीडिया के साथ-साथ उन कीर्तनी जत्थो जिन्होंने शब्द कीर्तन के माध्यम से धार्मिक कविताओं के माध्यम से कथावाचको ने इतिहास की जानकारी देने का जो सराहनीय काम किया उन सब का भी धन्यवाद


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