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किसान संगठन द्वारा आयोजित सम्पूर्ण क्रान्ति दिवस 5 जून 2021 पर विशेष :-

'' भारत सरकार किसानों के साथ जितना जुल्म आज कर रही है, ब्रितानिया सरकार ने भी नहीं किया, बिहार में नीलहे किसान आंदोलन की सफलता से उत्साहित महात्मा गांधी जी ने यह जान लिया था कि अंग्रेजों को भारत से भगाना मुश्किल काम नहीं, गुजरात में सरदार सरोवर पर लगी सबसे ऊंची प्रतिमा बल्लभ भाई पटेल की सरदार की उपाधि उन्हें बारदौली किसान आंदोलन की सफलता से प्राप्त हुई,, 

गाजियाबाद : संपूर्ण क्रान्ति आन्दोलन के जनक, लोकनायक जय प्रकाश नारायण ने 1973 – 74 के गुजरात प्रान्त में छात्रों द्वारा चलाये जा रहे आन्दोलन को जो मंहगाई भ्रष्टाचार, तानाशाही, छात्रावास, मेस की फीस वृद्धि के विरोध में पूरे राज्य में फ़ैल गया था,जाकर समर्थन दिया, छात्रों को पूरी शक्ति से आन्दोलन चलाने के लिए प्रेरित किया तथा पूर्ण समर्थन देकर आह्वान किया की जब तक छात्रों की बात सरकार नही मानती आन्दोलन चलता रहेगा | यह छात्र आन्दोलन पूरे देश में फ़ैल गया, धीरे – धीरे जनता का भी सहयोग मिलने लगा संघर्ष इतना उग्र रूप धारण कर लिया की गुजरात की कांग्रेस सरकार का पतन हो गया | 


यह आन्दोलन विहार में उपरोक्त मांगों के समर्थन में विकराल रूप ले लिया, इस आन्दोलन का नेतृत्व जय प्रकाश नारायण ने किया तथा छात्रों, नवजवानों का आह्वान किया कि केंद्र सरकार की लोक तंत्र विरोधी नीतियों, मंहगाई, भ्रष्टाचार , छात्रों नवजवानों के साथ अन्याय के विरोध में 1942 की तरह आन्दोलन सत्य, अहिंसा, सत्याग्रह द्वारा करना होगा | इस शस्त्र का प्रयोग तब तक करना है जब तक सरकार तानाशाही, भ्रष्टाचार , महंगाई पर अंकुश न लगा दे तथा छात्रों नवजवानों के कल्याण के लिए निर्णायक भूमिका में न आजाय, हमें राज्य और केंद्र सरकार का विरोध करना है | इसी आन्दोलन के समर्थन में लोकनायक जे० पी० के नेतृत्व में पटना के गांधी मैदान में 5 जून 1974 को विशाल रैली में सम्पूर्ण क्रान्ति का आह्वान किया गया, गाँधी जी की समग्र क्रान्ति, लोहिया की सप्तक्रांति ही सम्पूर्ण क्रान्ति, है सामाजिक,राजनैतिक, आर्थिक, शैक्षणिक, सांस्कृतिक, बौद्धिक, अध्यात्मिक, नर – नारी समानता, तथा जाति धर्म, रंग, नस्ल की असमानता के विरुद्ध विगुल बजा दिया, क्रान्ति का मतलब है वैचारिक गतिशीलता जो सड़ी, गली, रुढ़िवादी, सामाजिक तथा पारम्परिक ब्यवस्थाकी जड़ता को दूर कर समता, समानता न्याय का भाव पैदा करे | 

उसी तर्ज पर आज देश भर के किसान संगठनों ने 5 जून 2021 को “ तीनों केंद्र सरकार द्वारा पारित विवादित कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग के लिए “ सम्पूर्ण क्रांन्ति दिवस “ का आयोजन किया है, तथा आह्वान किया ही कि जब तक काले तीनों कृषि कानून वापस नहीं होते तथा न्यूनतम समर्थन मूल्य की गारंटी का कानून नहीं बनता हम पूरे देश में शान्ति पूर्ण आन्दोलन करते रहेंगे | कई किसान नेता जेल भरो आन्दोलन के लिए तैयार भी है सम्पूर्ण क्रान्ति आन्दोलन ने श्री मती इन्दिरा गांधी की सरकार को खत्म कर जनता पार्टी की सरकार बना दिया था वर्तमान सरकार भी किसानों के साथ अलोक तान्त्रिक और संवेदन हीन व्यवहार कर रही है | जो लोक तन्त्र के लिए शुभ संकेत नहीं है |वैश्विक महामारी करोना के संकट काल में 6 महीने से अधिक हो गये किसान सर्दी, गर्मी, भीषण भयंकर आंधी तूफ़ान और वरसात का सामना सड़क पर कर रहा है लेकिन केंद्र की भारतीय जनता पार्टी की सरकार पूंजीवादी व्यवस्था के दबाव में किसानों की मांग पर ध्यान न दे,उसे कुचलने का हर सम्भव प्रयास में लिप्त है, 


जबकि अन्न पैदाकर किसान देश वासियों का पेट ही नहीं भरता बल्कि ग्रामीण जनता को रोजगार भी प्रदान करता है | जितना आज स्वतंत्रता के बाद देशी सरकार किसानों के साथ जुल्म कर रही है यह जुल्म तो ब्रितानिया सरकार ने भी नही किया नही तो बिहार के नील की खेती करने वाले किसानो को महात्मा गांधी के नेतृत्व में सफलता न 

प्राप्त होती न महात्मा गाँधी में उत्साह पैदा होता कि सत्य, अहिंसा सत्याग्रह से अग्रेजी राज्य से भारत को मुक्त कराया जा सकता है जिस भाजपा दवारा सरदार सरोवर पर सरदार बल्लभ भाई पटेल की सबसे ऊँची प्रतिमा लगी है वह सरदार की उपाधि बारदोली के किसान आन्दोलन की सफलता का ही परिणाम रहा है | शहीदे आजम, सरदार भगत सिंह के पुरखों की आहुति किसान आन्दोलन में हुई , देश की आजादी में किसान के योगदान को भुलाया नहीं जा सकता, किसान पुत्र शहीद हुए जेल गये और यातनाएं झेली देश की सीमा की रक्षा में भी वही जांबाज़ लगे हुए है | आज भारत माँ के लालों की यह दुर्दशा की उनकी आवाज को दबाया जा रहा है, सत्तातन्त्र उन्हें अपमानित तरह – तरह के विशेषणों जैसे आतंकी, परजीवी, नक्सली, अर्बन नक्सली, टुकड़े – टुकड़े गैंग कह उनका मान मर्दन कर रहा है, किसानों के शांति पूर्ण आन्दोलन से सरकार ऐसा प्रदर्शित कर रही की वह अनजान है |किसान आन्दोलन में सैकड़ों किसान शहीद हो गये लेकिन ह्रदयहीन सरकार ने उनके सम्मान के लिए एक शब्द नहीं कहा उसे भय भी नहीं है न लोक – लाज, लोकतंत्र, में अहंकार राग और द्वेष के लिए कोई स्थान नही है सत्ताधीशों को राष्ट्र कवि रामधारी सिंह दिनकर की यह पंक्ति कभी नहीं भूलना चाहिए की “ सिंहासन खाली करो कि जनता आती है” क्योकि अन्तत: जनता के ही बीच जाना होगा | यह भी नारा दिया कि जात पात तोड़ दो, समाज के प्रभाव को नई दिशा में मोड़ दो, जय प्रकाश जी का सपना था “ की समाज के सबसे अधिक दबे, कुचले व्यक्ति को सत्ता के शिखर पर पहुंचाना |लोकनायक जयप्रकाश नारायण, किसान मसीहा चोधरी चरण सिंह, लोक वन्धु राजनारायण, जन नायक कर्पूरी ठाकुर, पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर तथा पूर्व प्रधIनमंत्री अटल बिहारी बाजपेई ने सम्पूर्ण क्रान्ति के यज्ञ में आहुति दी | श्रीमती इन्दिरा गांधी को सत्ता से हटा दिया इन नेताओं ने जेलों में यातनाएं झेली लोकतंत्र की रक्षा तथा किसान को सम्मान दिया देशवासियों का गौरव बढाया | हम वर्तमान केंद्र सरकार से बहुत ही अदब क साथ कहना चाहते है कि हठधर्मिता, अहंकार, दम्भ छोड़ उपरोक्त नेताओं के व्यक्तित्व और कृतित्त्व से प्रेरणा ले किसानों, मजदूरों, उपभोक्ताओं, गरीबों, वंचितों के हक में तीनो कृषि कानूनों को वापस ले तथा किसानो की आय दुगनी करने की बात कही थी ड्योढी करने में सहयोग कर एम० एस० पी०,न्यूनतम समर्थन मूल्य की गारंटी दे , कानून बने आज के दिन किसान संगठनों ने जिला मुख्यालय पर विवादित कृषि कानूनों को अग्नि में स्वाहा कर विरोध प्रकट किया तथा अबिलम्ब कानूनों को रद्द करने की मांग की|

     लेखक 

रामदुलार यादव

 शिक्षाविद, समाजवादी चिंतक

9810311255

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