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लोकबंधु राजनारायण ने पूरा जीवन, विपन्न, उपेक्षित वर्ग की संपन्नता के लिए, तथा संप्रदायिक शक्तियों को हतोत्साहित करने के लिए कार्य किया : रामदुलार यादव

 गाजियाबाद : समग्र क्रान्ति के अग्रदूत, स्वतंत्रता सेनानी, भारतीय राजनीति के धूमकेतु, समाजवादी चिन्तक, संघर्ष के प्रतीक, निर्भीकता की प्रतिमूर्ति लोकबन्धु राजनारायण की 34वीं, पुण्यतिथि “लोकबन्धु राजनारायण स्मृति संस्थान” द्वारा जे ब्लाक सेक्टर-9 विजय नगर, के प्रांगण में आयोजित की गयी| गोष्ठी का भी आयोजन किया गया, “वर्तमान राजनीति के बदलते परिवेश में लोकबन्धु राजनारायण की भूमिका”| अध्यक्षता समाजवादी पार्टी के वरिष्ट नेता, समाजवादी चिन्तक राम दुलार यादव ने, आयोजन लोकतंत्र सेनानी, महासचिव महबूब लारी ने, संचालन जहीर अहमद पत्रकार ने किया| 


कार्यक्रम को संस्था के अध्यक्ष नाहर सिंह यादव, मुकेश शर्मा, प्रो0 के0 पी0 सिंह, डा0 अखलाक, महेश यादव एडवोकेट ने भी सम्बोधित किया| कार्यक्रम में राजनारायण जी के चित्र पर पुष्प अर्पित कर उन्हें स्मरण किया गया| संस्था के महासचिव महबूब लारी ने कार्यक्रम में शामिल सभी महानुभावों का आभार व्यक्त किया| महिला उत्थान संस्था की राष्ट्रीय अध्यक्ष बिन्दू राय ने गीत प्रस्तुत किया| 


   कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए राम दुलार यादव ने कहा कि संपन्न परिवार में पैदा हुए राजनारायण विपन्न, वंचित, शोषित, पीड़ित, उपेक्षितों के नेता निर्भीकता की प्रतिमूर्ति रहे, स्वतंत्रता आन्दोलन में बनारस के रेलवे स्टेशन को आग लगा दिया, ब्रिटिश हुकूमत ने उन पर 5000/=रुपये का इनाम घोषित किया, कि जिन्दा या मुर्दा पकड़ने पर दिया जायेगा| स्वतंत्र भारत में भी यदि कोई नेता देश की जनता के सवालों के समाधान के लिए संघर्ष करता हुआ जेल गया वह नाम राजनारायण ही है, उन्होंने 17 साल जेल में राजनीतिक सन्यासी का जीवन जिया| उनके पास जो भी सहयोगी मित्र धन की व्यवस्था कर जाते वह जरूरतमंद कार्यकर्ताओं और जनता में बाँट देते थे अपने पास नहीं रखते थे, फक्कड़ ही रहते थे, उन्होंने अपने हिस्से की जमीन भूमिहीनों और गरीबों में दान कर दी थी| काशी विश्वनाथ मन्दिर में अनुसूचित जाति के लोगों को मन्दिर में प्रवेश के लिए आन्दोलन चलाया उनका कहना था कि किसी के साथ अन्याय, अत्याचार न हो, शोषण और जातिवाद के घोर विरोधी थे, लेकिन इतिहास लिखने वालों ने उनके साथ न्याय नहीं किया नहीं तो वे विश्व नेताओं में एक उदहारण स्वरुप जाने जाते| उन्होंने शक्तिशाली नेता इन्दिरा गाँधी को कोर्ट में वोट में हरा जनता पार्टी की सरकार बनवाने में अग्रणी भूमिका निभायी लेकिन जनसंघ, घटक और आरएसएस की सरकार में नापाक दखलंदाजी का विरोध कर दोहरी सदस्यता नहीं चलेगी, धूर्तता नहीं चलेगी का विरोध किया, जनता पार्टी को तोड़ दिया, और चौधरी चरण सिंह को प्रधान मंत्री बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभायी उन्होंने सिद्धांतों से समझौता कभी नहीं किया| डा0 लोहिया के वे परम सहयोगी शिष्य थे उन्होंने कहा था कि जब तक राजनारायण जिन्दा हैं, लोकतंत्र को कोई भी ताकत ख़त्म नहीं कर सकती| वह उन्होंने करके दिखा दिया| 


    आज राजनीति उन्ही विचारों पर काम कर रही है जिसका लोकबन्धु राजनारायण ने विरोध किया, देश में किसान आत्महत्या कर रहा है तथा नये कृषि कानूनों का जो उसकी मौत का वारंट है वापस लेने के लिए 36 दिन से कड़कती ठंढ में दिल्ली के सारे बार्डरों पर धरनारत है| मजदूरों के अधिकारों को वर्तमान सरकार कुचल रही है, नोटबंदी, जीएसटी, लॉकडाउन ने व्यापारियों की कमर तोड़ दी है, बेरोजगारी बढ़ती जा रही है करोड़ों लोगों को बेरोजगारी का दंश झेलना पड रहा है| गरीबों के सामने दो जून की रोटी का संकट पैदा हो गया आज सच में राजनारायण जी जैसे राजनीतिक योद्धा की जरुरत है| हमें राजनारायण जी के बताये मार्ग पर चलकर लोगों की मदद करनी चाहिए, तथा सांप्रदायिक शक्तियों को हतोत्साहित कर देश में सद्भाव, भाईचारा कायम करते हुए समता, सम्पन्नता के लिए काम करना चाहिए तभी लोकतंत्र में जन-जन की आस्था बनी रहेगी| 

  कार्यक्रम में शामिल प्रमुख साथियों ने लोकबन्धु के चित्र पर पुष्प अर्पित किया प्रमुख रहे, राम दुलार यादव, नाहर सिंह यादव, महबूब लारी, मुकेश शर्मा, संजू शर्मा, बिंदु राय, ताहिर अली, रवि चौहान, डा0 अखलाक अहमद, वरिष्ट पत्रकार फरमान अली, आंशू चौधरी, राजीव गुर्जर, सुशील शर्मा, नरेन्द्र चौधरी, वशीम अहमद चौधरी, अतुल सोम, सौरव शर्मा आदि रहे|

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