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प्राइवेट अस्पताल में 80% कोविड बेड रिजर्व करने के मामले में दिल्ली सरकार को फिर लगा झटका

दिल्ली सरकार को हाई कोर्ट की डबल बेंच से बड़ा झटका लगा है. दिल्ली सरकार की प्राइवेट अस्पतालों के 80 फ़ीसदी आईसीयू बेड कोरोना मरीजों के लिए रिज़र्व करने की अपील पर सिंगल बेंच के आदेश पर डबल बेंच ने रोक लगाने से इनकार कर दिया है. साथ ही प्राइवेट अस्पतालों और केंद्र सरकार को नोटिस जारी करके जवाब दाखिल करने को कहा है.


दिल्ली हाई कोर्ट की सिंगल बेंच ने 22 सितंबर को दिल्ली सरकार के उस आदेश पर रोक लगा दी थी जिसमें से 10 प्राइवेट अस्पतालों को 80 फ़ीसदी आईसीयू बेड कोरोना के मरीजों के लिए रिजर्व रखने के आदेश दिए गए थे. आज हुई सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट ने कहा कि इस मामले में संतुलन की जरूरत है और कोरोना के अलावा दूसरे और गंभीर रूप से बीमार मरीजों की जान को भी जोखिम में नहीं डाला जा सकता.


दिल्ली हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस डीएन पटेल ने आज हुई सुनवाई के दौरान कहा कि प्राइवेट अस्पताल अगर अपनी मर्जी से सौ फ़ीसदी बिस्तर कोरोना मरीजों के लिए आरक्षित करना चाहते हैं तो वह कर सकते हैं, लेकिन सरकार 80 फ़ीसदी आईसीयू बेड रिजर्व करने का आदेश उन पर कैसे थोप सकती है.


कोर्ट ने 22 सितम्बर को अपने आदेश में कहा था कि दिल्ली सरकार का आदेश आर्टिकल 21 का उल्लंघन है,और प्रथम दृष्टया इस आदेश में दिल्ली सरकार की मनमानी नज़र आती है. कोर्ट ने कहा है कि कोरोना को प्राइवेट अस्पतालों में आईसीयू बेड रिज़र्व करने की वज़ह नहीं बनाया जा सकता है.


दिल्ली सरकार की तरफ से आदेश 12 सितंबर को जारी किया गया था, जिसमें राजधानी के 33 प्राइवेट अस्पतालों को सरकार ने इस आदेश का पालन करने के निर्देश दिए थे, लेकिन दिल्ली हाईकोर्ट में दिल्ली सरकार के इस आदेश को चुनौती देते हुए एसोसिएशन ऑफ हेल्थ केयर प्रोवाइडर ने याचिका दाख़िल कर दी थी. अब मामले की अगली सुनवाई 9 अक्टूबर को होगी!


 


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