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समय के साथ बदलते शब्द पर कभी नहीं बदलते प्रतीक

गोरखपुर व्यूरों:अंधियारी बाग स्थित प्राचीन श्री मानसरोवर मंदिर में चल रहे रूद्रमहायज्ञ और शिवपुराण की कथा में पांचवें में दिन सुबह आठ बजे से यज्ञाचार्य पंडित रामानुज त्रिपाठी वैदिक जी के मार्गदर्शन में सपत्नीक उपस्थित यजमान शजवाहरलाल कसौधन, अरुण कुमार अग्रवाल उर्फ लाला बाबू, विष्णु अजीत सरिया, ओम प्रकाश कर्मचंदानी और 21 पंडितों द्वारा पूर्व आवाहित देवी- देवताओं का पूजन हवन और सभी देवी ग्रहों को जल का सिंचन करके वैदिक मंत्रों के बीच विधिवत यज्ञ हवन का कार्यक्रम कराया गया।  


कथा के पाँचवे दिन शिव महापुराण की में कथा व्यास संतहृदय बालक दास महाराज ने पुराणों में भगवान श्री गणेश के मंगलमय अवतारों का वर्णन किया। उन्होंने कहा कि भगवान  गणेश को परब्रह्म का ही रूप माना जाता है।


अलग-अलग युगों में श्री गणेश के अलग-अलग अवतारों ने जगत के शोक और संकट का नाश किया। गणेशजी का बड़ा पेट उदारता और संपूर्ण स्वीकार को दर्शाता है। गणेश जी का ऊपर उठा हुआ हाथ रक्षा का प्रतीक है। उनका झुका हुआ हाथ, जिसमें हथेली बाहर की ओर है, उसका अर्थ है, अनन्त दान, और साथ ही आगे झुकने का निमंत्रण देना यह प्रतीक है कि हम सब एक दिन इसी मिट्टी में मिल जाएंगे। गणेशजी एकदन्त हैं, जिसका अर्थ है एकाग्रता। वे अपने हाथ में जो भी लिए हुए हैं, उन सबका भी कुछ अर्थ है। वे अपने हाथों में अंकुश लिए हैं जिसका अर्थ है जागृत होना। चूहा उस मन्त्र के समान है जो अज्ञान की अनन्य परतों को पूरी तरह काट सकता है, और उस परम ज्ञान को प्रत्यक्ष कर देता है जिसके भगवान गणेश प्रतीक हैं। कथा व्यास ने कहा कि हमारे प्राचीन ऋषि इतने गहन बुद्धिशाली थे, कि उन्होंने दिव्यता को शब्दों के बजाय इन प्रतीकों के रूप में दर्शाया, क्योंकि शब्द तो समय के साथ बदल जाते हैं, लेकिन प्रतीक कभी नहीं बदलते। तो जब भी हम उस सर्वव्यापी का ध्यान करें, हमें इन गहरे प्रतीकों को अपने मन में रखना चाहिए। आज की कथा में श्री गणेश, ऋद्धि- सिद्धि की मनोहारी झाॅकी प्रस्तुत की गई। झाॅकी देखकर श्रद्वालु अपने आप को रोक नहीं पाए। गणेश, ऋद्धि सिद्धि को अपने बीच पाकर आशीर्वाद लेने की होड़ लग लगी रही। कथा के दौरान मंच पर गोरखपुर के महापौर ने गणेश, ऋद्धि- सिद्धि के पांव पखार आरती उतारी। 
आज की कथा समाप्ति के बाद व्यासपीठ की आरती गोरखनाथ मंदिर के प्रधान पुजारी योगी कमलनाथ, योगी शांतिनाथ तथा यजमान जवाहरलाल कसौधन, अरुण कुमार अग्रवाल उर्फ लाला बाबू , विष्णु अजितसरिया, ओम प्रकाश कर्मचंदानी ने किया। कथा समाप्ति के बाद यजमानगण और धर्मप्रेमी श्रद्वालुओं ने यज्ञ मण्डप की परिक्रमा भी की। इस अवसर पर गोरखनाथ मंदिर के कार्यालय सचिव द्वारिका तिवारी, महन्त रवीन्द्र दास, अवधेश सिंह, लालजी सिंह, पवन त्रिपाठी ,मंटू यादव, अंकुर अग्रवाल, अनूप अग्रवाल, परशुराम तिवारी, शशांक शास्त्री, शुभम मिश्रा, बृजेश मणि मिश्र, शशांक वर्मा, अमित सौरभ वर्मा, गौरव अग्रवाल, राकेश गौड़ और संस्कृत विद्यापीठ के आचार्यगण सहित बड़ी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित रहे।


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