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बडा ही दुख हुआ सुनकर पी. ए. सी जैसे महकमे भी अब सिफारिशों पर चलने लगे है

उत्तर प्रदेश: पुलिस से हटकर पी. ए. सी की अलग पहचान है। आपतकालीन समय मे पी. ए. सी को ही लगाया जाता है।


पी. ए. सी के जवान घर से दूर होकर मेहनत से अपनी नौकरी करते है लेकिन यदि इन्ही मेहनती जवानो के बीच कुछ नकारा मौज की नौकरी की चाह सिफारिशों से पा ले तो बडे दुख की बात है। जानकारी के अनुसार लखनऊ और ग्रेटर नोएडा मेट्रो मे पी. ए. सी के जवानो की ड्यूटी लगी हुई है। दिल्ली मेट्रो सी.आई.एस.एफ के हवाले है और उत्तर प्रदेश मे इन दो जगहो पर पी. ए. सी को तैनात किया गया है। 
हैरत की बात ये है की कुछ पी. ए. सी जवानो ने सिफारिशों के बल पर मेट्रो मे अपनी ड्यूटी लगवा ली है जोकि लम्बे समय तक यंही रुकने की चाह रखते है क्योंकि इनके घर आसपास ही है और पिछले काफी समय से यन्हा पर टिके हुए है। आखिर उन जवानो का क्या कसूर है जो मेहनत से अपनी नौकरी कर रहे है धूप, बरसात सह रहे है अपने परिवार से दूर है, क्या वो बच्चे अपने पिता को याद नही करते होंगे या वो मा बाप जिनकी बुढी आँखे भी अपने बच्चो की राह देखती है। ऐसे मे कुछ जवानो का जुगाड लगाकर या कहा जाए की पोल्टिकल् कनेक्शन का गलत फायदा उठाकर मौज की नौकरी की जा रही है। 
पी. ए. सी जैसे महकमे मे भी अब ऐसा होंने लगा है बडी ही शर्म की बात है। राज्य सरकार और संबंधित वरिष्ठ अधिकारियों को इस विषय को गंभीरता से लेना चाहीये। मौज की नौकरी करने वालो को तपती धूप का अहसास कराना चाहीये कोई मेहनत करे और कोई मौज ये कन्हा का इंसाफ है। ऐसी जुगाडबाजी से भरष्टाचार की बू आती है और सरकार से विश्वास उठता है।


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