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नए भू अधिग्रहण कानून 2013 की उपघारा 24(1) व 24(2) के तहत किसानों की भूमि को षड्यंत्र के तहत हड़पने की तैयारी कर रही है सरकार : कैलाश नगर

भारतीय किसान संघर्ष समिति

कनावनी।  भारतीय किसान संघर्ष समिति के सदस्यों और अन्य किसानों ने अपने खिलाफ हो रहे अन्याय को ध्यान में रखते हुए गांव के सबसे बुजुर्ग किसानों में से एक किसान श्री पेम सिंह की अध्यक्षता में समिति के अध्यक्ष कैलाश नागर जी के आवास पर एक बैठक का आयोजन किया ।


जिसमें गलत तरीके से नए भू अधिग्रहण कानून 2013 की उपघारा 24(1) व 24(2) के तहत किसानों को मिलने वाले लाभ से वंचित करने के साजिश के खिलाफ अपनी मांग को सरकार एवं मान0 सर्वाेच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधिश तक पहुंचाना चाहते हैं। साथ ही किसानों की मुख्य मांग है कि सरकार गलत तरीके से किसानों की जमीनों को कब्जाने का प्रयत्न कर रही हैं। जीडीए द्वारा आपके अखबारों व अन्य माध्यमो से कहा गया कि जीडीए ने कनावनी की 60 एकड़ जमीन का मुआवजा किसानों को देकर उस पर कब्जा प्राप्त कर लिया है साथ ही आस पास के 70 एकड जमीन पर लेआउट तैयार करने में जुट गई है। जबकि उस 70 एकड़ जमीन जिसको खाली बताया जा रहा है माननीय इलाहाबाद हाईकोर्ट में  विचाराधीन है। ऐसा लग रहा है जैसे कि जीडीए को पहले से ही पता है कि जस्टिस अरुण मिश्रा भू अधिग्रहण कानून की धारा  24 (1) और 24 (2) पर क्या फैसला देने वाले हैं।
भारतीय किसान संघर्ष समिति के अध्यक्ष केैलाश नागर ने बताया कि सर्वोच्च न्यायालय में माननीय मुख्य न्यायाधीश द्वारा एक संविधान पीठ का गठन इसलिए किया गया था क्योंकि सर्वोच्च न्यायालय में ही दो अलग अलग तीन-तीन जजों की खंडपीठ ने किसानों के पक्ष और विपक्ष में एक दूसरे के विपरीत आदेश पारित किए थे। यह दोनों मामले 2014 के पूणे मुंसिपल कारपोरेशन एवं 2018 के इंदौर डेवलपमेंट अथॉरिटी के हैं। पुणे मुंसिपल कारपोरेशन की खंडपीठ में जस्टिस  लोढ़ा, जस्टिस कुरियन जोसेफ व जस्टिस मदन बी लोकुर थे, जिन्होंने भूमि अधिग्रहण अधिनियम के तहत किसानों के पक्ष में फैसला सुनाया तथा अपने आदेष में स्पष्ट किया कि यदि अधिग्रहण को पांच वर्ष या उससे अधिक हो गया है व प्रतिकर नहीं लिया गया है या भौतिक कब्जा प्राप्त नही हुआ तो ऐसी स्थिति में अधिग्रहण स्वतः ही रद्द माना जाएगा। वही इंदौर डेवलपमेंट अथॉरिटी की खंडपीठ में जस्टिस अरुण मिश्रा, जस्टिस आदर्श गोयल व जस्टिस मोहन शांतनगोैदर थे, जिन्होंने किसानों के विपक्ष में फैसला सुनाया कि प्रतिकर नही भी उठाया गया हेै और सरकार ने कागजों में कब्जा प्राप्त कर लिया है तो भी समय सीमा को समाप्त मानते हुए अधिग्रहण रद्द नही माना जाएगा।
उन्होंने बताया कि पिछले साल नए भूमि अधिग्रहण कानून की धारा 24(1) व 24(2) के पक्ष व विपक्ष में तीन-तीन जजों द्वारा दिए गए फैसले को जस्टीफाई करने के लिए सर्वोच्च न्यायालय के माननीय मुख्य न्यायाधीश द्वारा एक संविधान पीठ गठन किया गया। दिनांक 12.10. 2019 को उस संविधान पीठ का अध्यक्ष न्यायाधीश श्री अरुण मिश्रा जी को बनाया गया। ऐसा पहली बार सर्वोच्च न्यायालय में देखा गया कि दो विवादित खंडपीठ में फैसला सुना चुके किसी एक न्यायाधीश को ही संविधान पीठ का अध्यक्ष नियुक्त किया गया हो। जस्टिस अरूण मिश्रा अपने द्वारा सुनाए गए फैसले को नियमानुसार नही सुना सकते है तो अब ये अपने फेैसले के विरोध में फैसला कैसे कर सकते हैं। अब दीपावली की छुट्टी खत्म होने के तुरन्त बाद जीडीए विसी और डीएम से मिलकर हम किसानों के खिलाफ हो रही इस साजिश के खिलाफ आवाज उठाएंगे। 
 बैठक के अध्यक्ष पेम सिंह ने कहा कि आज भारतीय किसान संघर्ष समिति के सभी सदस्य व अन्य किसानों की हो रही बैठक में हम माननीय अरुण मिश्रा जी का संविधान पीठ में होने का विरोध करते हैं। कुछ दिनों पहले चार जजों ने प्रेस कांफ्रेश कर उस समय के माननीय मुख्य न्यायाधीश एवं सरकार से षिकायत की थी कि हम सीनियर जजों के होते हुए जुनियर जज को मुकदमें दे दिए जाते हैं। जिसमें उन्होंने साफ रूप से जस्टिस अरूण मिश्रा का नाम लिया था तथा यह भी कहा था कि इससे न्यायपालिका की शाख खतरे में हैं। उनकी कही बात आज सच होती नजर आ रही हैं क्योंकि भारत के लगभग सभी किसान संगठन उपरोक्त न्यायाधिश का संविधान पीठ में होने का विरोध सर्वोच्च न्यायालय के माननीय मुख्य न्यायाधीश व सरकार को लिखित रूप में दर्ज करा चुके हैं। हम भारत सरकार के कानून मंत्रालय एवं मुख्य न्यायाधीश जी से आग्रह करते हैं कि माननीय अरुण मिश्रा जी को इस संविधान पीठ से हटाया जाए तथा दूसरे किसी सम्मानित वरिष्ठ न्यायाधीश को इस पद के लिए नियुक्त किया जाए क्योंकि अरुण मिश्रा जी के रहते हुए किसानों को न्याय की उम्मीद कम है।  बैठक में मुख्य रूप से देवराज प्रधान, ब्रजपाल कसाना, श्री चंद नागर, चतर सिंह,फतेह सिंह, ब्रह्म सिंह सरपंच, जगत सिंह नागर, भगवत सिंह, धनेश शर्मा, मदन नागर,  कुलदीप आदि मौजूद थे।


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