Ghaziabad :- उत्तर प्रदेश पुलिस सुधारने का नाम नहीं ले रही है कानून का खुला उल्लंघन करते हुए नजर आती हैं, 1 अप्रैल 2024 से भारत देश में तीन कानून लागू हुए हैं जिससे पुलिस की मुश्किलें बढ़ती नजर आ रही है योगी सरकार की जीरो टॉयलेट नीति को गाजियाबाद में पुलिस के तैनात अधिकारी लग रहे हैं जिसमें उनका ट्रांसफर अन्य जिलों में भी हो गया है लेकिन न्यायालय ने संज्ञान लेते हुए गाजियाबाद न्यायालय ने उन पर कार्रवाई की है यह जानकारी मीडिया में अधिवक्ता प्रमोद ए आर निमेश ने देते हुए बताया और कहां साथ जान से मरने के उद्देश्य से हुए जानलेवा हमले में थाना कविनगर में दर्ज मुक़दमें की जाँच में अभियुक्तगणों के साथ षड्यंत्र कर, अपराधियों को दण्ड से बचाने के दुराश्य से जाँच अधिकारी/विवेचक सहायक पुलिस आयुक्त कविनगर और नंदग्राम के द्वारा कदाचार, पक्षपातपूर्ण जाँच प्रक्रिया में जानबूझकर घोर लापरवाही
(Willful Negligence)* बरते व कानूनी प्रावधानों का उल्लंघन करने आदि के संबंध में *एससी/एसटी कोर्ट गाजियाबाद* में वादी ने परिवाद दायर किया. जिसका संज्ञान लेते हुए मा न्यायालय ने *ACP नंदग्राम पूनम मिश्रा, सलोनी अग्रवाल, रवि कुमार सिंह, पूर्व सहायक पुलिस आयुक्त कविनगर अवनीश कुमार, अभिजीत आर शंकर (आईपीएस), रितेश त्रिपाठी, अभिषेक श्रीवास्तव और पर्यावेक्षण अधिकारी DCP निपुण अग्रवाल (आईपीएस)* के विरुद्ध अपना पक्ष रखने हेतु मा न्यायालय से नोटिस जारी हैं । वर्तमान में पोस्टिड ACP इंदिरापुरम अभिषेक श्रीवास्तव, ACP नंदग्राम पूनम मिश्रा (Addl. SP), ACP महिला अपराध सलोनी अग्रवाल, जनपद औरैया कप्तान अभिजीत आर शंकर (आईपीएस) ने अपना अपना जवाब मा न्यायलय में दाखिल कर दिया हैं और बाकि को अंतिम अवसर के साथ अपना पक्ष रखने हेतु नोटिस जारी हैं. उक्त नामजद पुलिस अधिकारीगण के खिलाफ *प्रशासनिक जाँच* पुलिस आयुक्त गाजियाबाद के समक्ष पिछले 3 माह से विचाराधीन हैं. अधिवक्ता प्रमोद ए आर निमेश बताते हैं कानूनी प्रावधानों के अनुसार IPC (BNS) की सम्बंधित धाराओं में वर्णित सजा के साथ साथ *जानबूझकर की गयी लापरवाही* सिद्ध होने पर धारा 4 एससी/एसटी एक्ट के तहत 6 माह से 1 साल तक सजा का प्रावधान हैं.
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