छात्र सभा के ज़िला अध्यक्ष अंशु ठाकुर ने बताया कि जिन क्षेत्रों में पहले से ही शिक्षा का अभाव है, वहाँ सरकारी स्कूल ही गरीब और वंचित तबके के बच्चों के लिए शिक्षा का एकमात्र साधन हैं। सरकार की यह योजना शिक्षा से पलायन को बढ़ावा देती है, जबकि आवश्यकता इस बात की है कि स्कूलों में सुविधाएं बढ़ाई जाएं, शिक्षक नियुक्त किए जाएं, पेयजल, शौचालय, बिजली,
फर्नीचर और किताबों जैसी बुनियादी आवश्यकताओं को पूरा किया जाए और सरकारी स्कूलों के प्रति लोगों का विश्वास फिर से कायम किया जाए। यह निर्णय संविधान के अनुच्छेद 21A का भी उल्लंघन है, जो 6 से 14 वर्ष की आयु के बच्चों को मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा का अधिकार देता है। छात्र सभा ने स्पष्ट शब्दों में चेतावनी दी है कि यदि सरकार ने यह निर्णय तुरंत वापस नहीं लिया, तो संगठन लोकतांत्रिक तरीकों से आंदोलन करने को बाध्य होगा। इस अवसर पर मनोज पंडित, किशन यादव, आशीर्वाद चौधरी, महेश यादव,रोहित माथुर,उपेन्द्र यादव, गौरव शाक्य, निशु जाटव, आकाश चौधरी, महेंद्र यादव, शमशाद, एडवोकेट साजिद टाटा, एडवोकेट अंकुर यादव, फैज, हरि किशन यादव,जितेंद्र जाटव, संजय शर्मा, नंद किशोर सिकरवार, मोहन यादव, कृष्ण कुमार जाटव, बिट्टू, अमित पाल, सुनील जिंदल,गौरव तिवारी, भूरा यादव, अवधेश मौर्य आदि युवा शामिल रहें समेत कई कार्यकर्ता मौजूद रहे।
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