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भगवान श्री राम और माता सीता विवाह

Ghaziabad : श्री राम कथा में आज पाँचवे दिन पं• श्री कृष्ण प्रताप तिवारी जी (चित्रकूट धाम वाले) जी ने बताया की दानवो को मार भगाया पूरे वन ने शांति हो गई और हवन यज्ञ बिना ववधान के शुरू हो गये । उसके बाद राजा जनक के यहाँ माँ सीता के वर योग्य के लिए धनुष यज्ञ कराया जा रहा था । तो उनका निमंत्रण विश्वामित्र पर आया तो भगवान राम लक्ष्मण को लेकर विश्वामित्र जनकपुर के लिए प्रस्थान किया रास्ते में माता आहिल्या बाई को भगवान राम ने चरण स्पर्श करवाकर शराप से मुक्ति दिलाई और जनक पुर धाम पहुँच गये वहाँ पर दूर दूर से बड़े बड़े योद्धा राजा राजकुमार धनुष यज्ञ में भाग लेने के लियें पहुँचे हुए थे । सभी ने धनुष को उठाने और तोड़ने का पर्याश किया । परन्तु कोई राजा उस धनुष को हिला भी भी सका अंत राजा जनक ने कहा कि भारतवर्ष में कोई ऐसा योद्धा नहीं जो । उस धनुष को तोड़ सके इस चुनोती को स्वीकार करके विश्वामित्र से अनुमति लेकर श्री राम जी धनुष यज्ञ में गये । और धनुष को उठाकर उसकी डोर को खिंचा और धनुष टूट गया । सारे जनकपुर में ख़ुशियाँ की लहर दोड गई । जनक जी ने ख़ुश होकर माता सीता को बुलाया और माता सीता ने वर माला भगवान राम जी के गले में डाल दी सारे विश्व में नज़ारा बदल गया । देवता आकाश से फूलो की वर्षा करने लगे और राम सीता का विवाह राजा दशरथ के चारों पुत्रों को बुलाकर जनक जी ने अपनी चारों पुत्रियों के साथ विवाह कर दिया। कार्यक्रम में राजीव भाटी(निगम पार्षद),युग गुर्जर,डॉ.सकलानी,राज किशन अग्रवाल,निलेश मित्तल,गोपाल दत्त शर्मा,हरी अग्रवाल,राधे श्याम,छोटे लाल तिवारी,बी.एन तिवारी,राधे श्याम बघेल, और समस्तगण उपस्थित ।

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