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ऐसे होगा बाबासाहेब के सपनो का भारत :- सिकंदर यादव

गाजियाबाद, नवयुग मार्केट अंबेडकर पार्क में अंबेडकर जन्मोत्सव समिति द्वारा आयोजित बाबा साहब डॉ. भीमराव अंबेडकर की 133वीं जयंती पर बतौर मुख्य अतिथि श्री सिकंदर यादव को आमंत्रित किया व सम्मानित किया इस अवसर पर जनता को सम्बोधित करते हुए श्री सिकंदर यादव ने बाबा साहेब पर अपने विचार रखते हुए कहा कीं बाबा साहेब को हमने मान तो लिया, लेकिन ऐसे बहुत कम लोग हैं जिन्होंने बाबा साहब को जाना है। मैं आप लोगों से कहना चाहता हूं कि बाबा साहब को मानने से काम नहीं चलेगा, बाबा साहब को जानना बहुत जरूरी है, एक उदाहरण देते हुए श्री यादव कहते है कि बाबा साहब ने जो 17 प्रतिज्ञाएं हम लोगों को दी उस पर चलने वाले बहुत कम लोग हैं बाबा साहब ने भगवान बुद्ध की तरह कहा था कि मैं मुक्तिदाता नहीं हूं मैं मार्गदाता हूँ इसलिए बाबा साहब ने कहा मेरी कभी पूजा मत करो, मैंने जो कहा उसे पर चलने की कोशिश करो, आगे लोगों को संबोधित करते हुए श्री सिकंदर यादव जी ने कहा कि जब भारत के प्रधानमंत्री जापान जाते हैं तो कहते हैं मैं भगवान बुद्ध की भूमि से आया हूं और जब जापान के प्रधानमंत्री भारत आए तो उन्हें ले गए काशी जी, गंगा जी की आरती कराने, तो ये एक बड़ा भेद है, बाहर जाकर तो कहते हैं कि हम भगवान बुद्ध के देश से आए हैं और जब वो लोग आते हैं तो उन्हें बनारस के घाट पर ले जाते हैं। आगे अपने संबोधन में श्री सिकंदर यादव जी कहते हैं कि पांचवीं शताब्दी में चीन के दो यात्री फाह्यान और ह्वेनसांग ने अपने वर्णन में लिखा है कि ये सारी भूमि अफगानिस्तान से लेकर दक्षिण भारत तक सारी धरती बौद्धमय है जगह-जगह बौद्ध विहार हैं, और हर घर में भन्ते हैं, आप जब यूरोप जाते हैं, जापान जाते हैं, चीन जाते हैं, तो वो कहते हैं भारत का जो धर्म है वो बौद्ध है लेकिन जब वो भारत आते हैं तो उन्हें आश्चर्य होता है बौद्ध धर्म बिल्कुल नगण्य संख्या में भारत में है। सम्राट अशोक जब भारत के सम्राट थे तो उन्होंने भारत में 80 हजार स्तूप बनवाए थे, उन 80 हजार स्तूप में से कुछ बचे है ये बात मैं इसलिए बता रहा हूं कि मैंने एक बार अपने गुरु जी से पूछा कि इतनी बड़ी संख्या में बहुजन समाज है, दलित है, पिछड़े हैं, वंचित है, माइनॉरिटी है लेकिन उनकी सरकारें नहीं आ पाती है, न्यायपालिका में, कार्यपालिका में या विधायिका में उतना प्रतिनिधित्व नहीं मिलता क्यों? तो गुरु जी ने बड़ी सूक्ष्म बात मुझे बताएं उन्होंने कहा कि बच्चा जब पढ़ाई करता है स्कूल टॉप करता है ,उस टॉपर बच्चों को आप देखना 16 घंटे 18 घंटे पढ़ाई करेगा उसके बाद जो परिणाम आएगा वो रिजल्ट, वो डिग्री उसे मिलेगी। जब 16 घंटे 18 घंटे बच्चा पड़ेगा तो सब चीजों से दूर हो जाएगा, ना वो टीवी देखेगा, ना मोबाइल देखेगा, ना किसी से मिलेगा, ना अच्छे कपड़े पहनेगा, ये सब चीजों का त्याग किया। और जब त्याग किया जाता है तो तप हो जाता है। इसी तरह कोई भी समाज, कोई भी परिवार, कोई भी व्यक्ति ऊंचे स्थान पर तभी पहुंचता है जब त्याग करता है, तप करता है। तो गुरु जी ने कहा कि जो समाज ज्यादा त्याग करेगा तप करेगा वो समाज ऊपर आ जाएगा क्योंकि 15 फीसदी लोग आज भी पिछले 70 साल से किसी भी पार्टी की सरकार आ जाए यही 15% लोग हमेशा सत्ता में भागीदार रहते हैं, तो मैं आपको यह कहना चाहता हूं अगर आप भारत को सच में विश्व गुरु बनाना चाहते हैं जैसे पांचवीं शताब्दी में फाह्यान ने लिखा है कि भारत कभी विश्व गुरु रहा है सिर्फ एक समय पर रहा जब भगवान बुद्ध का यह पथ पूरे एशिया में फैला आज 40 से ज्यादा देश भगवान बुद्ध का अनुसरण कर रहे हैं, तो विश्व गुरु वह कब बना, जब हम भगवान बुद्ध के मार्ग पर चले और अगर हमें दोबारा विश्व गुरु बना है तो हर घर में एक भन्ते पैदा करना होगा, हर परिवार में एक भन्ते होना चाहिए तभी हमारा समाज, आपका समाज उन्नति कर सकता है मैं आपको अपना उदाहरण बताता हूं मेरा छोटा बेटा जो 4 साल का है वो बुद्ध वंदना करता है सुबह-शाम और मैं अपने बड़े बेटे का नाम मिलिंद रखा है मिलिंद राजा के ऊपर मेरे घर में कोई पुरोहित नहीं आता, बौद्ध भन्ते आते हैं या सद्गुरु साहब पंत को मानने वाले, गुरु रविदास को मानने वाले आते हैं मैं आप सब लोगों को बताना चाहता हूं कि हमें आपको अगर तरक्की करनी है तो बाबा साहब को जानना पड़ेगा मानने से काम नहीं चलेगा। अब आप सोचिए कितने लोग हैं जो बाबा साहब की 17 प्रतिज्ञाएं में कहा, मांस मत खाओ, मदिरा मत पियो, छल मत करो, जुआ मत खेलो और कर्मकांड की पूजा मत करो, लेकिन ज्यादातर लोगों को देखेंगे की लोगों में श्रद्धा है, विश्वास है आस्था है लेकिन उनको बाबा साहब को जानना नहीं, उनके मार्ग पर चल नहीं पाते, अगर बाबा साहब को पाना है, भारत को आगे ले जाना है तो बाबा साहब को जानना पड़ेगा और उनके मार्ग पर चलना पड़ेगा।

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