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239 साल धरती पर रहकर सिख गुरुओं ने तपस्या और बलिदान दिया और लगभग 200 साल सिख जर्नैलों ने देश को मुख रख काम किया

Ghaziabad : शहादत को बस खेल समझा खेलते रहे सिख जुल्म कभी किया नहीं सहा भी नहीं कभी ऐसे होते हैं सिख
दुनिया वालो तुम्हें सिखों की वीरता और दया की बात बताता हूं मुगल जब ले जाते थे देश की बेटियां जब सिख हमला कर छुड़ा लाते थे कहते हैं सिखों के 12 बज गए तो सुनो दोस्तों हकीकत सुनो मुगलों की फौज पर रात 12:00 बजे हमला कर छुड़ा लाते थे देश की लड़कियां
देश धर्म संस्कृति की रक्षा के लिए ही देते थे सिख कुर्बानियां निजी जंग कभी लड़ी नहीं सिखों का कभी कोई स्वार्थ भी नहीं रहा
दुनिया में भ्रम और अज्ञानता की वजह से संसार के भूले भटके मनुष्यों को सीधी राह पर लाने के उद्देश्य से ही संसार में धर्म की स्थापना के लिए धरती की पुकार सुनकर अकाल पुरख की तरफ से श्री गुरु नानक देव जी का संसार में प्रदापण हुआ
राष्ट्र की एकता अखंडता और भावनात्मक एकता कायम रखने के लिए सिख धर्म गुरुओं ने एक ऐसा मानवीय समाज बनाने की परिकल्पना की थी जहां किसी प्रकार का भेदभाव ना हो छुआछूत ना हो वर्ग हीन समाज हो सारी दुनिया प्यार एकता एवं भाईचारे की डोर से बंधी हो
गुरु नानक देव जी ने एक निर्मल पंथ की नींव रखते हुए इस उद्देश्य की पूर्ण प्राप्ति के पूर्ण मनुष्य की सर्जना की आधारशिला रखी
उसके बाद गुरु नानक देव जी अलग-अलग अवतार धारण करते हुए मनुष्य की अगुवाई के पर्यातन किया
10 वे जामें गुरु गोविंद सिंह जी के द्वारा 1699 में बैसाखी वाले दिन खालसा की सर्जनकर पूर्ण मनुष्य के रूप में एक ऐसे व्यक्तित्व की सर्जन किया
उसमें अहंकार गर्व लोभ की भावना नहीं थी ना भय है देने और ना ही भय स्वीकार करने की कमजोरी थी
राज्य नशा से बढ़कर प्रभु प्रेम था और इज्जत से जीने की उमंग थी सही बात तो यह है कि आज भी सिख धर्म में अरदास की परंपरा है और अंत में कहा जाता है नानक नाम चढ़दी कला तेरे भाण सरबत का भला 
गुरु गोविंद सिंह जी ने बाल अवस्था के समय ही कहा धर्म कमजोर नहीं होना चाहिए कोई आए और हमारे जपने वाली माल ही ले जाए धर्म की रक्षा के लिए हथियार उठाना पड़े तो उठाऊंगा

1699 वाली बैसाखी के दिन खालसा पंथ की स्थापना की आनंदपुर साहिब में अमृत पान करा कर सिख को खालसा स्वरूप दिया
गुरु गोविंद सिंह जी ने अत्याचार और अन्याय जुल्म के खिलाफ उठ खड़े होने और वीरता का संचार करने का होला मोहल्ला मनाने का नया तरीका पेश किया
होला मोहल्ला पर गुरु की लाडली फौज शास्त्र धारी घुड़सवार पैदल निहंग सिंह गतका खेलने व तलवारबाजी अपनी वीरता ताकत जोश के करतब दिखाने का कार्य करते हैं
गुरु गोविंद सिंह जी ने सन 1708 में परलोक गमन से पहले देह दारी गुरु की प्रथा को समाप्त किया तथा गुरु गद्दी गुरु ग्रंथ साहिब को सौंप सिखों को हुक्म दिया गया आज के बाद देहदारी गुरु नहीं होगा गुरु ग्रंथ साहिब जी हमारे गुरु हैं और उन्हीं के आगे नतमस्तक होना है
गुरु ग्रंथ साहिब जी की रचना गुरु अर्जन देव जी ने 1601 ई लिखवाया आते पहले प्रकाश पर 1604 में बनाया गया गुरु ग्रंथ साहिब में छह सिख गुरुओं सहित 36 महापुरुषों की वाणी दर्ज है
हिंदुस्तान की धरती पर 12वीं सदी से लेकर 17वीं सदी तक जितने भी महापुरुष जन्मे उनकी सब की वाणी गुरु ग्रंथ साहिब में दर्ज कर एक सर्व सांझा ग्रंथ की रचना की
गुरु ग्रंथ साहिब में परमात्मा को 65 से भी ज्यादा नाम से पुकारा गया हरि शब्द का प्रयोग8344 बार राम शब्द का प्रयोग 2533 बार प्रभु शब्द 1371 बार गोपाल शब्द 491 बार अल्लाह शब्द का प्रयोग 49 बार खुदा शब्द का प्रयोग 17 बार नारायण सतनाम अलख करता कृष्ण दामोदर रघुनाथ बहुत से नाम से पुकारा गया
संघर्ष कुर्बानी तपस्या तथा मानवता का नाम है खालसा पंथ मनजीत

सरदार मनजीत सिंह प्रधान गाजियाबाद सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी

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