Hot Posts

6/recent/ticker-posts

भारत रत्न, संत मदर टेरेसा असहाय, अशिक्षित, अपाहिज, लाचार, बीमार, कुष्ठ रोगियों की सेवा में अपना संपूर्ण जीवन लगा दिया :रामदुलार यादव

साहिबाबाद : “लोक शिक्षण अभियान ट्रस्ट” द्वारा ज्ञानपीठ केन्द्र के प्रांगण में भारत रत्न, महान संत, करुणा, दया, त्याग की प्रतिमूर्ति मदर मैरी टरेसा का जन्म दिवस समारोह का आयोजन इंजी0 धीरेन्द्र यादव ने किया,


अध्यक्षता समाजवादी पार्टी महिला सभा की उपाध्यक्ष संजू शर्मा ने, संचालन नागेन्द्र मौर्य ने किया, कार्यक्रम के मुख्य वक्ता राम दुलार यादव सहित सभी महिलाओं, गणमान्य नागरिकों ने मदर टरेसा जी के चित्र पर पुष्प अर्पित कर उन्हें स्मरण करते हुए समाज, व्यक्ति, देश के लिए किए कार्यों को साझा किया, कार्यक्रम के अन्त में वैश्विक महामारी कोरोना के प्रकोप से बचने के लिए मास्क वितरित किया गया, तथा फल भी बांटे गये| प्रखर समाजसेविका बिंदु राय ने मदर टेरेसा के सम्मान में कविता पाठ किया|


   कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए लोक शिक्षण अभियान ट्रस्ट के संस्थापक / अध्यक्ष राम दुलार यादव ने कहा कि अध्ययन शील, करुणा की प्रतिमूर्ति, जीवन्त स्वभाव की एग्नेस (मदर टरेसा) में 12 वर्ष की अवस्था में ही दया, सेवा, सहयोग के बीज अंकुरित हो गये थे, नन बन गयी थी| 18 वर्ष की अवस्था में ही इन्होने असहाय, वंचित वर्ग, पीड़ित, शोषित, अशिक्षित, बीमार, अपाहिज और लाचार गरीबों की सेवा का संकल्प ले लिया था| कलकत्ता के विभिन्न मार्गों, फुटपाथों से गुजरते हुए जब इनका सामना रोगियों से होता तो यह द्रवित हो उठती, अक्टूबर 1950 में रोम के पोप पिप्स बारहवें ने इनकी संस्था “मिशनरी ऑफ़ चैरिटी” को मान्यता प्रदान की| मदर टरेसा ने भ्रूण हत्या का पूरे विश्व में विरोध किया, अनाथ, अवैध संतानों को मातृत्व सुख प्रदान किया, आप ने 45 वर्षों तक मिशनरी ऑफ़ चैरिटी संस्था द्वारा अनवरत गरीब, बीमार, अनाथ लोगों की सेवा करती रही| मानवता की सेवा में अपना सम्पूर्ण जीवन लगाया, इनकी प्रतिभा तथा समाज सेवा से प्रभावित होकर, लोगों ने इनके काम को आगे बढ़ाने में तन, मन, धन की मदद की इन्हें अनेकों अंतर्राष्ट्रीय सम्मान, पुरस्कार प्राप्त हुए| उनसे मिली धनराशि इन्होने सेवा के कार्य में लगा दिया, इनका मानना था कि “प्यार की भूख, कहीं रोटी की भूख से अधिक महत्व रखती है”| 1980 में भारत के सर्वोच्च सम्मान भारत रत्न से विभूषित किया गया, बनारस हिन्दू विश्विद्यालय ने इन्हें डी0 लिट्0 की उपाधि से विभूषित किया, इनके मिशन से प्रेरणा लेकर संसार के स्वयं सेवकों ने भारत आकर तन, मन, धन से पीड़ितों की सेवा की, मदर टरेसा का कहना था कि सेवा कार्य कठिन कार्य है इसके लिए पूर्ण समर्पण की आवश्यकता है, 5 सितम्बर 1997 को हृदयाघात से इनका देहावसान हो गया, उस समय मिशनरी ऑफ़ चैरिटी में 4000 (चार हजार) सिस्टर, 300 अन्य सहयोगी संस्थाएं कार्यरत थी| विश्व के 123 देशों में समाज सेवा कर रही थी| इनकी सेवा त्यागमय जीवन, आत्मसमर्पण भाव से प्रभावित हो पोप जानपाल द्वितीय ने धन्य की तथा 9 सितम्बर 2016 को वेटकिन शहर पोप फ्रांसिस ने मदर टरेसा को विश्वसन्त घोषित किया, उनका मानना था कि शब्दों से मानव जाति की सेवा नहीं होती, उसके लिए पूर्ण लगन से कार्य में जुट जाने की आश्यकता है| आज हम सभी उन्हें स्मरण कर गौरवान्वित हो रहे है|  


  कार्यक्रम में प्रमुख लोगों ने भाग लेकर मैरी मदर टेरेसा के चित्र पर पुष्प अर्पित कर उन्हें स्मरण किया, राम दुलार यादव, इंजी0 धीरेन्द्र यादव, नागेन्द्र मौर्य, संजू शर्मा, बिंदु राय, पूनम तिवारी, प्रियंका, सीमा, अनमोल, तनुश्री, डोली, हेमा, कमला, अंकित राय, राजीव गर्ग, प्रेम चन्द पटेल, केदार सिंह, सुरेश कुमार भारद्वाज, हरिशंकर यादव, हरिकृष्ण, फूल हसन, अमरबहादुर, पप्पू, अखिलेश कुमार शुक्ला, दिलीप यादव, सचिन त्यागी, मंगल सिंह चौहान, ताहिर अली, विजय भाटी आदि उपस्थित रहे| 


 


                                                                                   


एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ