CAA नागरिकता संशोधन कानून , 2019, अल्पसंख्यकों (गैर-मुस्लिम) के लिए भारतीय नागरिकता देने का रास्ता खोलता है। इस कानून से भारत के किसी भी धर्म के शख्स की नागरिकता नहीं छीनी जाएगी। ये कानून सिर्फ पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान में रहने वाले शोषित लोगों को भारत की नागरिकता हासिल करने की राह आसान करता है।
भारत के मुस्लिमों या किसी भी धर्म और समुदाय के लोगों की नागरिकता को इस कानून से खतरा नहीं
CAA में कौन से धर्म शामिल हैं?
CAA में छह गैर-मुस्लिम समुदायों - हिंदू, सिख, ईसाई, जैन, बौद्ध और पारसी से संबंधित अल्पसंख्यक शामिल हैं। इन्हें भारतीय नागरिकता तब मिलेगी जब वे 31 दिसंबर, 2014 को या उससे पहले भारत में प्रवेश कर गए हों।
पिछली नागरिकता के मानदंड क्या थे?
इस संशोधन बिल के आने से पहले तक, भारतीय नागरिकता के पात्र होने के लिए भारत में 11 साल तक रहना अनिवार्य था। नए बिल में इस सीमा को घटाकर छह साल कर दिया गया है।
इसलिए हो रहा है प्रदर्शन
कानून में हिंदू, सिख, ईसाई, जैन, बौद्ध और पारसी धर्म के लोगों को भारतीय नागरिकता दी जाने की बात की गई है। हालांकि, इससे भारत में रह रहे मुस्लिमानों को कोई परेशानी नहीं होगी, लेकिन उनका मानना है कि इसमें सिर्फ गैर मुस्लिम लोगों को नागरिकता देने की बात कही गई है। इसलिए ये धार्मिक भेदभाव वाला कानून है जो कि संविधान का उल्लंघन करता है।
इसलिए नहीं जोड़ा गया मुसलमानों को
गृहमंत्री अमित शाह ने बताया था कि अफगानिस्तान, पाकिस्तान और बांग्लादेश मुस्लिम देश हैं। वहां धर्म के नाम पर मुस्लिम उत्पीड़ित नहीं होते, इसलिए उन्हें इस एक्ट में शामिल नहीं किया गया है -
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