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बच्चो के स्वास्थ्य के लिए मोबाइल का बढ़ता प्रयोग चिंता का विषय - सीमा त्यागी

मोबाइल का अधिक इस्तेमाल बच्चो की सोशल एवं इमोशनल ग्रोथ में बन रह है बाधा - सीमा त्यागी 
गाजियाबाद के मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ अखिलेश मोहन द्वारा बच्चो में मोबाइल के अत्यधिक प्रयोग से शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर पड़ रहे बुरे असर को लेकर एक महत्पूर्ण एडवाइजरी जारी की गई है जो निश्चित रूप से एक सराहनीय कदम है इसी एडवाइजरी को लेकर शिक्षा के क्षेत्र में कार्य करने वाली सीमा त्यागी ने बताया कि हम देख रहे है कि आज के आधुनिक युग मे बच्चो के लिए मोबाइल का अधिकतम प्रयोग जहा माता पिता के लिए सर दर्द बना हुआ है वहीं मोबाइल की बढ़ती लत बच्चो के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को दीमक की तरह खोखला कर रही है बच्चो में मोबाइल का बढ़ता प्रयोग शहर ही नहीं बल्कि ग्रामीण क्षेत्र में तेजी से पैर पसार रहा है अब तो एक से डेढ़ साल के मासूम बच्चे को उसकी माता द्वारा मोबाइल स्क्रीन का प्रयोग करते हुए दूध पिलाते हुए देखना आम बात हो गई है लेकिन मोबाइल का ये अंधाधुंध प्रयोग जहा बच्चो के शारीरिक और मानसिक विकास को बुरी तरह प्रभावित कर चिड़चिड़ा बना रहा है वहीं उनकी एकाग्रता कमजोर होने के साथ आंखों की रोशनी कमजोर होना , निंद्रा में बाधा , मोटापा , मानसिक तनाव और सामाजिक व्यवहार में बदलाव का बड़ा कारण बन रहा है 
हालांकि बच्चौ की इस आदत के पीछे कहीं-न-कहीं हम पेरेंट्स ही जिम्मेदार हैं क्योंकि बच्चों को सबसे पहले गैजेट्स से परिचित कराने वाले भी हम ही होते हैं। अक्सर देखा गया है कि छोटे बच्चों को चुप कराने या व्यस्त रखने के लिए माता-पिता शुरुआत से ही उन्हें मोबाइल या टीवी की आदत लगवा देते हैं। धीरे-धीरे यही आदत लत बन जाती है, जिसे छुड़ाना फिर बेहद मुश्किल हो जाता है। यह समस्या सिर्फ अब हमारे घर तक सीमित नहीं है। हाल ही में नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन में पब्लिश एक स्टडी के अनुसार , अधिक स्क्रीन टाइम बच्चों की सोशल और इमोशनल ग्रोथ में बाधा बन सकता है। इससे मोटापा, नींद न आना, डिप्रेशन और एंग्जाइटी जैसी समस्याएं हो सकती हैं। ऐसे बच्चे अक्सर गुस्सैल और जिद्दी भी हो जाते हैं। वहीं यूएस बेस्ड मेंटल हेल्थ रिसर्च ऑर्गेनाइजेशन ‘सेपियन लैब्स’ के एक सर्वे के मुताबिक, जिन बच्चों को जल्दी स्मार्टफोन दे दिया जाता है, उनमें मेंटल हेल्थ प्रॉब्लम्स का खतरा भी उतनी ही जल्दी बढ़ जाता है। इतना ही नहीं, ज्यादा स्क्रीन टाइम से बच्चों के दिमाग में डोपामाइन नामक न्यूरो ट्रांसमीटर का लेवल बढ़ सकता है। इससे उन्हें ध्यान केंद्रित करने में समस्या होती है। धीरे-धीरे ये आदत उनकी याददाश्त को भी प्रभावित करने लगती है और इसका सीधा असर उनकी पढ़ाई पर पड़ता है। इस तरह स्क्रीन टाइम बच्चों की फिजिकल और मेंटल हेल्थ पर गहरा असर डालता है। बच्चो में मोबाइल की लत छुड़ाने के लिए हम सभी को मिलकर प्रयास करने होंगे जैसे
मोबाइल फ्री जोन बनाएं:
घर में कुछ ऐसे क्षेत्र बनाएं जहां मोबाइल का उपयोग न हो, जैसे कि बेडरूम या डाइनिंग टेबल ,
स्क्रीन टाइम सीमित करें:
बच्चों के लिए एक समय निर्धारित करें और उसका सख्ती से पालन खुद भी करे और बच्चो को भी कराए । साथ ही बच्चों को खेल, कला, संगीत, या अन्य शौक में व्यस्त रखें। अभिभावकों को भी उदाहरण बन मोबाइल का उपयोग कम करना चाहिए और बच्चों के सामने एक अच्छा उदाहरण पेश कर बच्चो से संवाद स्थापित करे बच्चों से उनकी समस्याओं और चिंताओं के बारे में बात करें। जिससे कि बच्चे मोबाइल की लत छोड़ माता पिता से जुड़ाव महसूस कर सके । माता पिता के लिए मोबाइल की लत छुड़ाना एक चुनौती हो सकती है, लेकिन धैर्य और सही मार्गदर्शन से, बच्चों को इस लत से छुटकारा दिलाया जा सकता और बच्चों के शारीरिक और मानसिक विकास को सही दिशा में ले जाया जा सकता है 

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